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क्यों झूठे हैं मृत्युदंड को समाप्त करने के लिए दिए जा रहे चारों तर्क-- कल्पेश याग्निक

‘जो कुछ भी गोपनीय रखा जाता है, पूरी तरह बताया और समझाया नहीं जाता, अनेक प्रश्न अनुत्तरित रखकर किया जाता है; वह बाद में सड़ने लगता है। चाहे इस तरह किया गया न्याय ही क्यों न हो। - पुरानी कहावत मृत्युदंड दिया जाना चाहिए कि नहीं? प्रभावी और मेधावी लब्धप्रतिष्ठितों की स्पष्ट राय है - नहीं? उनके चार तर्क हैं : 1. क्योंकि यह तो ‘आंख के बदले अांख' का विकृत कानून हो...

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बाज आएं जातिवाद की सियासत से- संजय गुप्त

जातिगत जनगणना के आंकड़ों की आड़ में हो रही राजनीति के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री ने यह स्पष्ट करके अच्छा किया कि राज्यों को ये आंकड़े पहले ही भेजे जा चुके हैं और वे जातियों-उपजातियों, गोत्रों आदि के असमंजस को दूर कर दें तो फिर तर्कसंगत वर्गीकरण का काम शुरू हो। यह काम 'नीति आयोग" की एक समिति करेगी और फिर जातिवार आंकड़ों को देश के सामने लाया जाएगा। 2011 की जनगणना...

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जब भ्रष्टाचार संस्थागत रूप लेता है- बीके चतुर्वेदी

तीन दशक से भी पहले मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला संबंधी परीक्षा आयोजित करने के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की स्थापना की गई थी। वह विचार बुरा नहीं था। आम तौर पर इस तरह के चयन से पारदर्शिता और निष्पक्षता को ही बढ़ावा मिलता है। हालांकि इसका एहसास नहीं था कि सरकारी क्षेत्र के एक संगठन में रोजगार देने की इतनी शक्ति...

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रांची के 67 प्रतिशत क्षेत्रों का पानी ही पीने योग्य शहर के 15% हिस्से का पानी पीने लायक नहीं

रांची: राजधानी के 139 जगहों से लिये गये सैंपल में 67 प्रतिशत क्षेत्रों का पानी ठीक-ठाक पाया गया है, इसमें 18 प्रतिशत जगहों का पानी काफी उच्च गुणवत्ता वाला है, जो उपयोग के लिए काफी बेहतर है. अध्ययन में पाया गया कि 15 प्रतिशत इलाके का ग्राउंड वाटर खराब और संक्रमित है, जिसका ट्रीटमेंट कर ही उपयोग किया जा सकता है.   यह अध्ययन इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद की टीम ने...

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मजहबी तालीम से आगे बढ़ें मदरसे - तुफैल अहमद

पिछले दशकों के आंकड़े गवाह हैं कि मदरसों में पढ़ने वाले भारतीय मुसलमान भौतिकशास्त्री, अर्थशास्त्री, चार्टर्ड एकाउंटेंट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर और यहां तक कि राजनीतिज्ञ भी नहीं बन पाते। मदरसे मुस्लिमों को सार्वजनिक जीवन से बाहर रखने के कारक बन जाते हैं। हां, कुछ मदरसों के छात्र आधुनिक पेशे में प्रवेश पा लेते हैं, लेकिन इसमें मदरसों की भूमिका नहीं है, बल्कि यह उनका व्यक्तिगत सद्प्रयास है। इस बात के भी...

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