देश के शिक्षा-संबंधी सभी अध्ययन और सर्वेक्षण इंगित करते हैं कि छात्रों का स्तर अपेक्षा से नीचे है. इस स्थिति के लिए आम तौर पर शिक्षकों को दोषी ठहरा दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि हमारे विद्यालयों का इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था बेहद लचर है. देश में एक लाख से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है. अधिकतर विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात...
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कानपुर: नहीं मिला इलाज, बेटे ने बाप के कंधे पर तोड़ा दम
कानपुर : भारत में गरीबी का आलम यह है कि लोग अपनों की लाश कंधे पर ढोने को मजबूर हो रहे हैं. पिछले दिनों ओडिशा से ऐसी खबर आने के बाद अब खबर उत्तर प्रदेश के कानपुर से आई है. यहां एक बच्चे का इलाज करवाने के लिए पिता एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाता रहा लेकिन उसका इलाज नहीं हो सका जिसके बाद पिता के कंधे पर...
More »बाढ़ अब हर साल का किस्सा है-- दिनेश मिश्र
हाल के वर्षों तक बाढ़ को ग्रामीण समस्या के रूप में ही देखा जाता था और हमेशा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाले इलाकों के लोगों, जो मुख्यत: किसान होते थे, की मान्यता थी कि बाढ़ आती है और चली जाती है। ऐसा विरले ही होता कि कभी ढाई दिन से ज्यादा टिकी हो। लेकिन हमारे बाढ़-नियंत्रण के प्रयासों ने अब गांवों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों को भी अपने में...
More »प्रमुख जलाशयों में पिछले वर्ष से नौ फीसद अधिक पानी
नई दिल्ली। देश के 91 प्रमुख जलाशयों में कुल क्षमता के 61 प्रतिशत पानी का भंडारण हो गया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से यह जानकारी दी गई। इसके अनुसार 18 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में इन जलाशयों में 71.556 अरब क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि से नौ प्रतिशत ज्यादा है। इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 157.799 बीसीएम है। मंत्रालय के अनुसार...
More »दलित जागरण का उठता ज्वार-- तरुण विजय
अभिमान पर जरा सी चोट लगी थी तो महाभारत हो गया था- द्रौपदी इसकी साक्षी है. एक बार गोली खाना सहन हो सकता है, लेकिन तिरस्कार नहीं. हैदराबाद विमान तल पर राजीव गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री टी अंजैया का जो अपमान किया, उसके बाद कांग्रेस का तख्तापलट हो गया था. जनता ने माफ नहीं किया. अनुसूचित जातियां तो सदियों से यह अपमान झेलती आ रही हैं. जिन्हें अपनी जाति के...
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