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इंद्र भरोसे खेती, पर कब तक--- बिभाष

हरित क्रांति के मसीहा डॉ नॉर्मन बोरलॉग ने साठ के दशक में बौनी प्रजाति के अधिक उपज वाले गेहूं की ईजाद की. सभी देशों की तरह भारत में भी उस गेहूं की खेती शुरू की गयी. बौनी प्रजाति के गेहूं ने उस वक्त की राजनीति गढ़ने का भी काम किया, जिस पर बहस और शोध होना चाहिए. देखते-देखते गेहूं की उपज दूनी हो गयी. सन् 1959-60 में जो गेहूं...

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वो 5 बातें जिनकी वजह से मनाना पड़ रहा है पृथ्‍वी दिवस

22 अप्रैल को दुनिया के 192 देश 46वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। लेकिन मात्र एक दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम प्रकृति को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं। जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण के बगैर जीवन असम्भव है। कोई दो राय नहीं कि अगर पृथ्‍वी खतरे में रहेगी तो मनुष्‍य जाति भी खतरे में रहेगी। दुर्भाग्‍यवश पृथ्‍वी का अस्ति‍त्‍व खतरे...

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मूक खेतिहर भर नहीं हैं देश के किसान-- अनिल पद्मनाभन

पिछले महीने कृषि मंत्री ने संसद को बताया कि साल 2015 में 2,806 किसानों ने आत्महत्या कर ली। सबसे अधिक आत्महत्याएं महाराष्ट्र (1,841 किसान) में दर्ज की गई, जिसके बाद पंजाब (449), तेलंगाना (342), कर्नाटक (107) और आंध्र प्रदेश (58) जैसे राज्यों का स्थान आता है। इन तमाम राज्यों में समानता यह है कि ये सभी मौजूदा ग्रामीण संकट के केंद्र रहे हैं, जहां लगातार खराब मानसून और जिन्सों...

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मानसून रहा मेहरबान तो 7.6 फीसद रहेगी रफ्तार

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक का मानना है कि अगर मानसून मेहरबान रहा तो चालू वित्त वर्ष 2016-17 में देश की आर्थिक विकास दर 7.6 फीसद तक पहुंच सकती है। आरबीआई ने महंगाई की दर में अगले दो साल में वृद्धि की आशंका भी जताई है। हालांकि इस वर्ष में महंगाई की दर पांच फीसद के स्तर पर बने रहने की ही संभावना है। चालू वित्त वर्ष की पहली कर्ज नीति का...

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क्या गरीबी एक राजनीतिक पूंजी है? - विजय संघवी

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में कहा कि भारत में गरीबी कायम रखने में कांग्रेस का योगदान था, क्योंकि गरीबों को वे वोटबैंक की तरह मानते थे। शाह ने जो कहा, वह एक राजनीतिक आम धारणा भी है। लेकिन इस कथन की विस्तार से पड़ताल करने के लिए हमें इसके विभिन्न् परिप्रेक्ष्यों को ठीक से समझना होगा। जॉन राल्स्टन सॉल ने तीन तरह के छवि-निर्माताओं की तस्दीक की है।...

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