आधुनिक काल में ज्योतिबा फुले और बाबा साहेब आंबेडकर ने शासन, सत्ता और संस्कृति के विभिन्न केंद्रों में मौजूद जातीय सैद्धांतिकी को चुनौती देकर ऐतिहासिक कार्य किया। सामाजिक समानता का जो अहसास बाबा साहेब आंबेडकर को संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़ते हुए हुआ, वह हमारे लोकजीवन में कहीं नहीं था। इसलिए शिक्षा प्राप्ति के बाद भारत वापस आने पर उन्होंने इसी लोक जीवन में व्याप्त सदियों पुरानी बीमारियों...
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पूछी जाति, दलित बताया तो मार डाला
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या करने का मामला सामने आया है। 22 वर्षीय युवक पर एक दुकानदार और उसके साथियों ने एक मेले में लगाए गए स्टॉल से घड़ियां चुराने का आरोप लगाया था। FIR के अनुसार, पहले आरोपियों ने अवनीश (पीड़ित) को पकड़ा। फिर उससे उसकी जाति पूछी। जब उसने कहा कि वह दलित है, तो कथित तौर पर अवनीश को पीटा...
More »कहर ना बन जाए कुदरत की सौगात - मृणाल पांडे
भरपूर मानसून का आना शहर और गांव हर कहीं खुशी का माहौल रचता है। पर इधर जब से नगर, महानगर में और कुछ चुनिंदा शहर स्मार्ट सिटी में बदलने शुरू हुए हैं, बरसात की खुली झड़ी हर शहर, हर कस्बे पर एक आफत बनकर बरसती है। सड़कों पर उफनते नालों-सीवरों का भलभलाकर उलट आना, भारीभरकम जाम, घरों के भीतर घुसे पानी से जान-माल की तबाही, यह हमने गए सालों में...
More »चतुर कल्याणकारी नौकरशाही-- डा भरत झुनझुनवाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार नियंत्रण में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. फिर भी मोदी का जादू धीमा पड़ता दिख रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. देश के शासन में नयी ताजगी आयी थी. वाजपेई ने कांग्रेस की कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना को अंगीकार किया था. कांग्रेस की पाॅलिसी थी कि बड़े उद्यमियों को बढ़ावा दो. इनसे टैक्स...
More »बराबरी के हक की पुरानी लड़ाई- एस श्रीनिवासन
तमिलनाडु में उत्सवी बयार बह उठी है, क्योंकि यह ‘आदि' का महीना है। तमिल कैलेंडर का चौथा महीना। इसकी शुरुआत जुलाई के मध्य महीने में हो जाती है। मान्यता है कि ‘दक्षिणया पुण्यकाल' आरंभ हो जाता है, यानी देवताओं के लिए रात की शुरुआत। यह महीना जल और प्रकृति से जुड़ी देवियों को समर्पित है। लिहाजा पूरे राज्य में अम्मा और देवी मंदिरों में पूजा-आराधना शुरू हो जाती है। कहा...
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