गौरी लंकेश हत्याकांड के बारे में कई चीजें हैं। एक, वे शक्तिशाली वैचारिक नेता थीं। धुर वाम-उदार विचारधारा की निर्भीक तर्कवादी थीं। दो, नियमित रूप से उन्हें दी जाने वाली धमकियों के बाद भी साहस के साथ अपनी बात कहती थीं। तीन, जैसाकि ध्रुवीकृत वातावरण में होता है, उनसे सहमत होने वाले पूरे जुनून से उनके साथ थे। जो असहमत होते वे इस वैचारिक अखाड़े की दूसरी ओर से जवाब...
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आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश
यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...
More »आधार पर रोक की उम्मीद -- आकार पटेल
पंद्रह वर्ष पहले जिस समाचार पत्र का मैं संपादन करता था, उसमें सलमान खान और ऐश्वर्या राय की एक बातचीत छपी थी. बातचीत में प्रीटी जिंटा का भी जिक्र था, जिन पर सलमान खान ने अश्लील टिप्पणी की थी. इससे नाराज होकर जिंटा ने मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था. कुछ वर्षों तक मुकदमा चला और फिर उन्होंने इसे वापस ले लिया था. बहरहाल, इस मामले में...
More »जुगाड़ की मानसिकता और दुर्घटना-- रघु दयाल
शनिवार को मुजफ्फरनगर के खतौली में हुए रेल हादसे से कई सवाल निकलते हैं। यह ट्रेन पटरी से क्यों उतरी? क्या इस हादसे से बचा जा सकता था? यदि जरूरी परिचलान प्रक्रिया का पालन किया जाता, तो वाकई इस हादसे को टाला जा सकता था। शुरुआती तथ्य इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि ज्वॉइंट पर फिश प्लेट टूटी हुई थीं और मरम्मत करने वाले इंजीनियरों ने 20 मिनट के...
More »किसानों को चाहिए साहसिक सुधार-- आलोक रंजन
देश के ज्यादातर राज्य गंभीर कृषि संकट की गिरफ्त में हैं। किसानों का असंतोष व उनकी बेचैनी दिनोंदिन आक्रामक होती जा रही है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में जो कुछ हुआ, वह हमारे नीति-नियंताओं के लिए एक झकझोर देने वाला वाकया था। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उनकी आमदनी नहीं बढ़ रही है। दालों और...
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