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जल के निजीकरण के खतरे-निरंकार सिंह

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल ने यह कहकर चौंका दिया है कि सरकार पानी के निजीकरण पर विचार कर रही है। राष्ट्रीय जल नीति इस माह के अंत तक घोषित कर दी जाएगी। बंसल के मुताबिक जल संसाधन मंत्रालय ने जल नीति का मसौदा कई माह पहले तैयार कर लिया था। इस बारे में लगातार विशेषज्ञों और संबंधित लोगों से चर्चा हो रही है। नीति का जो मसौदा...

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महिलाओं ने ठाना और संवार दी अपने परिवार की किस्मत

महासमुंद. महिलाएं अबला नहीं, अब सबला हो गई हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बागबाहरा वनांचल के भलेसर पंचायत में देखने को मिल रहा है। पंचायत के आश्रिम ग्राम द्वारतरा की महिलाओं ने सरकारी मदद से सिलाई प्रशिक्षण का संचालन शुरू किया है। माडा पैकेज योजना से यहां की बीस महिलाओं को सिलाई मशीन का वितरण किया गया है। महिलाएं अब घर में ही रोजी कमाने में सक्षम हो गई हैं। योजना से लाभांन्वित मनोरमा...

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अब जनता से दूर नहीं होंगे पहाड़ों के जंगल : विनोद भावुक

मंडी. पहाड़ के जंगल अब यहां की जनता के हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने आदिवासी एवं अन्य परंपरागत वनवासी वनाधिकार मान्यता कानून 2006 अन्य वनवासी समुदायों के लिए भी लागू कर दिया है। सरकार ने 27 मार्च को सरकारी आदेश जारी कर दिए हैं। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में प्रदेश सरकार की ओर से 1 अप्रैल 2008 को ही इस कानून को लागू कर दिया गया था। अब अन्य...

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क्यों बढ़ रहा है जल-संकट? -- बाबा मायाराम

पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेष समेत देष भर में पानी का संकट बढ़ा है। यह समस्या प्रकृति से ज्यादा मानव-निर्मित है। वर्षा की कमी के साथ, वनों की अवैध कटाई, पुराने तालाबों पर अतिक्रमण, गाद भरने से सरोवरों की भंडारण क्षमता में कमी, पानी की फिजूलखर्ची, नदी, जलाषयों का पानी औद्योगिक इकाईयों को देने व षहरों के प्रदूषित पानी को नदियों के प्रदूषण और भूजल को बेतहाषा दोहन से समस्या...

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मिट्टी हमारा साथ छोड़ रही है -अनिल जोशी

जीवन के मूल संसाधनों को लेकर कही गई पुरानी कहावतें आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा सही लगती हैं। मिट्टी भी उनमें से एक है। माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदें मोय, इक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय। यह दोहा आज सटीक बैठ रहा है। मिट्टी के मोल अब पुराने नहीं रहे। यह भी अन्य प्राकृतिक संसाधनों की तरह विलुप्त होती जा रही है। यह संकट बड़ा है, क्योंकि...

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