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इन्हें नहीं मालूम 'पेड न्यूज' क्या है

नई दिल्ली. पैसे लेकर विज्ञापन को खबर की तरह छापने की शिकायत के बावजूद भी चुनाव आयोग पेड न्यूज से पूरी तरह अनजान बना हुआ है। आयोग को अभी तक यह मालूम नहीं पड़ पाया है कि आखिर पेड न्यूज किस खेत की मूली है। सबसे मजेदार बात यह है कि आरटीआई के अंतर्गत चुनाव आयोग ने भारतीय प्रेस परिषद को बकायदा एक लेटर लिखकर पेड न्यूज के बारे में सारी जानकारी मांगी है।...

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बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का आदेश

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बिहार में नौकरी की बाट जोह रहे प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को 31 अगस्त तक प्रशिक्षित शिक्षकों के सभी 34540 पदों को भरने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने ये आदेश प्रशिक्षित शिक्षकों की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किए। इस भर्ती के लिए वर्ष 2006 तक प्रशिक्षण पूरा करने...

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बिड़ला टायर्स में श्रमिक अशांति का मामला गरमाया

बालेश्वर । स्थानीय फांडी चौराहे पर खुला मंच के जरिए बिड़ला टायर्स में कार्यरत श्रमिकों के समर्थन में जिला के राजनेताओं, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों का एक विशाल समूह खुलकर सामने आया है, जिसके चलते अब इस टायर उद्योग में श्रमिक अशांति का माममला गर्माने लगा है। समय रहते यदि इसका निपटारा नहीं किया गया तो यह सुलगती चिनगारी किसी भी समय आग में बदल सकती है। जानकारी के अनुसार करीब 5 घंटा से ज्यादा समय तक...

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जनता को गुमराह करना शर्मनाक है : साईनाथ

आप सोचते होंगे कि अख़बारों में सिर्फ़ एक पेज 3 होता है? लेकिन महाराष्ट्र के अख़बार ऐसा नहीं मानते। हाल के चुनाव में उनके पास कई पेज 3 थे, जिन्हें वो लगातार कई दिनों तक छापते रहे। उन्होंने सप्लिमेंट के भीतर सप्लिमेंट छापे। इस तरह मुख्य अख़बार में भी आपको पेज 3 पढ़ने को मिले। फिर उन्होंने मेन सप्लिमेंट में अलग से पेज थ्री छापा। उसके बाद एक और सप्लिमेंट जिसके ऊपर रोमन में पेज...

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यह शर्मनाक सौदा लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक है!- पी साईनाथ

हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टियों और उम्मीदवारों के द्वारा अपने प्रचार के लिए मीडिया में धन का जम कर इस्तेमाल हुआ। अपने किसी भी चुनावी कवरेज के लिए एक उम्मीदवार को धन के इस संगठित खेल का हिस्सा होना पड़ा या कहें तो जबरन मजबूरी में इसका हिस्सा होना पड़ा। क्योंकि ऐसी धन संस्कृति का मीडिया में इस्तेमाल होने लगा है कि पैसा नहीं तो कवरेज भी नहीं। मीडियाई दुनिया...

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