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पूरे हुए अरमान, शुक्रिया श्रीमान

सकरा (मुजफ्फरपुर), निप्र : सरकारी जमीन की आस लगाए 18 महादलितों का इंतजार मंगलवार को तब खत्म हो गया जब उन्हें जमीन की रजिस्ट्री के कागजात मिले। रजिस्ट्री कार्यालय में तीन डिसमिल जमीन के कागज को पाकर उनके हाथ नीतीश सरकार को शुक्रिया को उठ गए। जानकारी के अनुसार सीओ नरेंद्र कुमार ने अशोक मांझी,ननन माझी, रविन्द्र माझी, विपत मांझी, रीना देवी, लक्ष्मी देवी, दिनेश माझी, राजेश राम, रिंकु देवी,...

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नमस्कार-चमत्कार और प्रणाम...- गोपालकृष्ण गांधी

बात खादी-परंपरा से जुड़ी राजनीति की ही नहीं। हर दल की विश्वसनीयता ने क्षति देखी है। डॉ. लोहिया को कौन समाजवादी आज याद नहीं करता? अटलजी की आवाज सुनने आज कौन भाजपा समर्थक आतुर नहीं? एमना पागे लाग, गोपू (इनको प्रणाम कर, गोपू।) घर में जब कोई बुजुर्ग तशरीफ लाते तो पिताजी मुझे गुजराती में यह हिदायत देते। हिदायत क्या, आदेश ही समझिए। वह आदेश बहुत सुहावना होता था, क्यूंकि...

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डॉक्टरों के खिलाफ फूटा गुस्सा, सड़कों पर उतरे लोग!

प्रदेश के विभिन्न अंचलों से.डॉक्टरों की हड़ताल के विरोध में मंगलवार को प्रदेशभर में प्रदर्शन हुए। सीकर, झुंझुनूं, बीकानेर व जोधपुर में कहीं रैली निकाली गई तो कहीं बाजार बंद रहे। डॉक्टरों की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किए गए। उधर, डॉक्टरों की हड़ताल सातवें दिन भी जारी रहने से चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमराई रहीं। पुलिस ने अब तक 500 डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है।जोधपुर में आर्यवीर दल के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को हड़ताली...

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खुदरा खैर करे- सुधीरेंद्र शर्मा(तहलका,हिन्दी)

  रिटेल क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मगर क्या यह हमारे हर मर्ज की दवा है जैसा कि सरकार हमें समझाती रही है? सुधीरेंद्र शर्मा का आकलन  जाकी रही भावना जैसी एफडीआई देखी तिन तैसी खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर छिड़ी राजनीतिक रस्साकशी ने तुलसीदास की इन पंक्तियों को पुनः सार्थक किया है. एकल ब्रांड कारोबार में 51 और मल्टी-ब्रांड कारोबार में 100...

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‘आप गलतफहमी के शिकार हैं. हमने भूमि सुधारों को बैकबर्नर पर नहीं डाला है’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करना आसान नहीं. उन्हें केंद्र और राज्य दोनों तरह की सरकारों में काम करने का खासा अनुभव है. वे हिंदीभाषी प्रदेशों के उन गिने-चुने नेताओं में  से हैं जो बढ़िया वक्ता हैं. काफी पढ़े-लिखे हैं और राजनीति के उथल-पुथल वाले 70 और 80 के दशक में उन्होंने आजादी के बाद के, कांग्रेस से अलग धारा में काम करने वाले कई प्रमुख नेताओं के...

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