देश की प्राथमिक शिक्षा में सुधार हो, सरकारें इस मुद्दे पर दशकों से विचार कर रही हैं। लेकिन यह सुधार कैसे होगा, इस पर कभी ईमानदारी से नहीं सोचा गया। यही वजह है कि आजादी के अड़सठ साल बीत जाने के बाद भी सरकारी नियंत्रण वाले प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में न तो शिक्षा का स्तर सुधर पा रहा है और न ही इनमें विद्यार्थियों को बुनियादी सुविधाएं मिल पा...
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स्वच्छता कायम रखने में भारतीय डॉक्टर पीछे
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय डॉक्टरों एवं नर्सों में हाथ धोने और साफ-सफाई बनाए रखने की आदत बहुत कम होती है। दोनों संस्थानों ने सफाई से जुड़े प्रशिक्षण सत्र चलाए जाने की बात की है। अध्ययन में बताया गया है कि अधिकांश डॉक्टर काम के दौरान हाथ धोने के लिए साबुन और पानी...
More »पहले रेलवे को सुरक्षित तो बनाएं - घनश्याम सक्सेना
मध्य प्रदेश में हरदा जिले के पास कालीमाचन नदी की पुलिया जलप्लावन के कारण धंसने के फलस्वरूप जो रेल दुर्घटना हुई है, उसमें कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतरकर गिरने और जलमग्न होने की खबरें हैं। मुश्किल यह है कि इस भीषण त्रादसी के बाद राजनेताओं ने अपना सियासी रंग दिखाना शुरू कर दिया और राजनीतिकरण के इस धुंधलके में मूल मुद्दों के गुम हो...
More »जमीन का भी राष्ट्रीयकरण हो- शिवदान सिंह
जमीन अधिग्रहण विधेयक जैसे अहम मसले पर मोदी सरकार की दुविधा साफ देखी जा सकती है। गुलामी के प्रतीक 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून की जगह यूपीए सरकार ने जो नया कानून बनाया था, उसे भाजपा का भी समर्थन मिला था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इसे बदलना चाहती है। पर सवाल है कि क्या विकास को गति देने की राह में भूमि अधिग्रहण कानून सबसे बड़ा रोड़ा...
More »करोड़ों अकेले-बेबस लोगों का देश - पुण्य प्रसून वाजपेयी
देश में 50 करोड़ से ज्यादा वोटर किसी राजनीति दल के सदस्य नहीं हैं. ये वोटर अपनी-अपनी जगह अकेले हैं. लेकिन, एक-एक वोट की ताकत साथ मिलकर जब किसी राजनीतिक दल को सत्ता तक पहुंचा देती है, तब वह दल अकेले नहीं होता. हां, उसके भीतर का संगठन एक होकर सत्ता चलाते हुए वोटरों को फिर अलग-थलग कर देता है. यानी जनता की एकजुटता वोट के तौर पर नजर आये...
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