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‘90 फीसदी महिलाएं अपनी गुलामी का जश्न मनाती हैं’

स्त्री मुक्ति और आदिवासी संघर्ष का जिक्र करें तो रमणिका गुप्ता का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अपने लंबे संघर्षमय जीवन के विभिन्न पड़ावों एवं एक लेखिका-सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दोहरे जीवन की चुनौतियों के बारे में उनकी पूजा सिंह से बातचीत. आप सक्रिय राजनीति में रहीं. तीन दशक पहले चुनाव भी जीतीं. आज देश के कई बड़े राज्यों में महिला मुख्यमंत्री हैं. केंद्र में भी सबसे प्रभावी...

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मजदूर के संघर्ष का प्रतीक- सिद्धेश्वर शुक्ला

सन् 1991 के बाद देश में आर्थिक सुधार के नाम पर बेतहाशा उदारीकरण की जो नीति अपनायी गयी, उसे सत्ता पक्ष और प्रमुख विपक्ष ने बड़ी मजबूती से केंद्र व राज्यों में लागू किया. उदारीकरण के दुष्परिणाम आज हमारे सामने हैं. उदारीकरण की नीतियों की वजह से न सिर्फ मजदूरों को नुकसान हुआ है, बल्कि परंपरागत उद्योग और कृषि बुरी तरह से चौपट होकर रह गये हैं. आज देश एक...

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गुजरात मॉडल का सच- कुमार प्रशांत

जनसत्ता 16 अप्रैल, 2013:नरेंद्र मोदी बार-बार प्रशासन की उस शैली की बात कहते रहे जिसे वे गुजरात-मॉडल का नाम देते हैं। क्या है यह गुजरात मॉडल? वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं और इस लंबे दौर में एकदम निर्द्वंद्व सत्ता उनके हाथ में रही है। पहले दौर में उनकी प्रशासनिक शैली की एकमात्र उपलब्धि रही कि समाज के अल्पसंख्यकों और असहमत लोगों को डरा-धमका और मार डाल कर एकदम हाशिए...

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भगवान भरोसे विज्ञानी बाबू - ।।रजनीश उपाध्याय।।

दुनिया के दो महान व्यक्तित्व. दोनों तेज दिमाग के. अति प्रतिभावान. ग्रेट साइंटिस्ट. लगभग समकालीन भी. एक ने भारत के छोटे से गांव में जन्म लिया. नाम - वशिष्ठ नारायण सिंह. अभावों के बीच अपनी मेधा के बल पर राह बनायी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया तक पहुंचे. दूसरे ने भी अपनी मेधा का लोहा मनवाया और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में शोध किया. नाम - स्टीफन विलियम हॉकिंग. दोनों गणित में पारंगत. वशिष्ठ...

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क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...

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