SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 381

दामोदर की जीवन रेखा को चाहिए जीवन दान- उमा(धनबाद)

-आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम पर संकट के बादल- बाढ़ जैसी भीषण प्राकृतिक आपदा को नियंत्रित करते हुए जीवन को रोशन करने के मकसद से 66 साल पहले 7 जुलाई, 1948 को अस्तित्व में आयी आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की जीवन रेखा आज जीवन दान के लिए तरस रही है. 27 मार्च, 1948 को डीवीसी का गठन भारत के संसद...

More »

संयुक्त राष्ट्र ने दलित लडकियों के बलात्कार और हत्या की निंदा की

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र ने उत्तरप्रदेश के बदायूं जिले में दो दलित लडकियों के ‘‘बर्बर’’ सामूहिक बलात्कार और उनकी हत्या की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और पूरे भारत में महिलाओं एवं लडकियों के खिलाफ हिंसा पर अंकुश लगाने का आह्वान किया है. भारत में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की स्थानीय समन्वयक लिज ग्रांडे ने कहा, ‘‘दो किशोरियों के परिवारों को और निम्न जातीय समुदायों की तमाम...

More »

महंगाई रोकने की मुहिम में केंद्र सरकार को लग सकता है झटका

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। महंगाई रोकने की मोदी सरकार की प्रस्तावित मुहिम को सूखे की आशंका से झटका लग सकता है। नए कृषि व खाद्य मंत्रियों के लिए सूखा पहली चुनौती होगा। समुद्र में बन रही आफत अलनीनो से भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून के प्रभावित होने का खतरा है। बारिश के बादल भले ही न आएं, मगर खरीफ फसलों पर संकट के बादल जरूर छा गए हैं। इससे महंगाई से...

More »

जिनको हाशिए पर भी जगह नहीं- अतुल चौरसिया

हिसार के पश्चिमी छोर पर स्थित एक विशाल फॉर्महाउस विरोधाभासों की जमीन है. इसके आधे हिस्से में एक शानदार कोठी, लॉन और पोर्टिको बने हैं जबकि बाकी का आधा हिस्सा बेतरतीब काली पॉलीथीन से ढंकी करीब 60-70 झुग्गियों से पटा हुआ है. जहां-तहां पानी के गड्ढे हैं जिनमें मच्छर और मक्खियां बहुतायत में पल-बढ़ रहे हैं. इसी झुग्गी बस्ती में अपनी कुछ मुर्गियों और दो सुअरों के साथ 80 साल...

More »

समाजवाद की संभावना थे सुनील- अरुण कुमार त्रिपाठी

सुनील भाई से जब भी मिला, जहां भी मिला उन्हें एक जैसा ही पाया. वे रंग बदलनेवाले और रंग दिखानेवाले समाजवादी नहीं थे. उन्हें देख कर और याद कर मुक्तिबोध की बौद्धिकों पर व्यंग्य में की कही गयी कविता की पंक्तियां पलट कर कहने का मन करता है.  मुक्तिबोध ने आज के बुद्धिजीवियों के लिए कहा था- ‘उदरंभरि अनात्म बन गये, भूतों की शादी में कनात से तन गये, लिया बहुत...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close