देवेन्द्र कुमार गौड़, सोईंकलां। रोज सुबह 8 बजे के करीब पूरा गांव खाली बर्तनों के साथ कुल्हाड़ी और लाठियां लेकर पार्वती नदी के किनारे इकट्ठा होता है। इसके बाद कुल्हाड़ी, लाठी या अन्य नुकीले हथियारों से नदी किनारे पानी में हलचल मचाना शुरू करते हैं। जब मगरमच्छ-घड़ियाल भाग जाते हैं तब एक-एक करके खाली बर्तनों को नदी से भरते हैं। पीने के पानी के लिए यह जद्दोजहद श्योपुर तहसील के...
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आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश
यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...
More »गोरखपुर हादसे से लें सबक-- वरुण गांधी
गोरखपुर के बीआरडी हॉस्पिटल में 7 से 11 अगस्त के बीच साठ बच्चे मर गये. इस झकझोर देनेवाली घटना के लिए कई बातों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. खबरों में बताया गया है कि इस अस्पताल में रोजाना इंसेफ्लाइटिलके 200-250 मरीज आ रहे हैं, जिनमें मृत्य दर 7 से 8 फीसदी है. अस्पताल और ऑक्सीजन सप्लायर के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, इधर राप्ती नदी के तट...
More »बिहारः बाढ़ से पहले गांव था सहरसा में, अब सुपौल में
वर्ष 2008 के बाद इस साल फिर कोसी नदी की बाढ़ ने भारी तबाही मचायी. उत्तर बिहार के सुपौल जिले में लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इनमें सबसे मुश्किल जिंदगी है कोसी तटबंधों के बीच बसर करने वाले उन लोगों की, जिन्हें बाढ़ के समय ऊँची जगहों पर शरण लेनी पड़ती है और हर दूसरे-तीसरे साल नयी जगह बसना पड़ता है. ये लोग पानी उतरने का इंतजार करते हैं और...
More »बाढ़ जनित समस्या का प्रबंधन-- डा. गोपाल कृष्ण
आम तौर पर सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं बाढ़ जनित समस्या से चकित होने का स्वांग करती हैं. हिमालय के गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटी जैसे क्षेत्रों में सदियों से नदी के भूमि बनाने के अपने नैसर्गिक कार्य के लिए बाढ़ का जन्म होता रहा है. मौजूदा बाढ़ में खबरों के अनुसार अभी तक बिहार में 18 जिलों में 200 से अधिक लोग मौत के शिकार हुए हैं. पश्चिम...
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