पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...
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आशाओं का इंद्रधनुष-- डा.वी के पॉल
अग्रिम मोर्चे पर पैदल सैनिकों की सहायता से ही कुछ महत्वपूर्ण युद्ध जीते जाते हैं। मिशन इंद्रधनुष के दूसरे चरण का आगाज इसी अक्तूबर में होने वाला है, और इस अभियान के पैदल सैनिक निश्चय ही स्वास्थ्य सेविकाएं हैं, जो बच्चों का टीकाकरण कर टीके से रोके जाने वाले रोगों से लड़ने में सहायता कर रही हैं। गर्मी की तेज धूप हो या मानसून की तेज बारिश, ये स्वास्थ्य सेविकाएं...
More »चुनावी बाढ़ में सूखे का समाचार- चंदन श्रीवास्तव
हम सारी बातों पर बहस नहीं करते. बहस का विषय वही बातें बनती हैं, जिन्हें महत्वपूर्ण मान कर समाचार के रूप में परोस दिया गया हो. एक समय में एक ही जगह अनेक घटनाएं हो रही होती हैं और वे समान रूप से महत्वपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन सबके भाग्य में समाचार होना नहीं लिखा रहता. जो घटनाएं समाचार बनने से रह जाती हैं, वे हमारी चिंता के दायरे से भी...
More »अनिश्चितता का माहौल, टूट रही है मनरेगा से रोजगार की आस
रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर अनिश्चितता का माहौल इस कदर है कि राज्य में रोजगार की मांग करने वाले लाखों लोगों को काम नहीं मिल रहा है। कारण यह है कि जिलों में सरपंचों से लेकर अफसरों तक को आशंका है कि काम करवाने के बाद भुगतान कब होगा? हालत यह है कि छत्तीसगढ़ में रोजगार की मांग करने वाले परिवारों की संख्या...
More »कितना कारगर होगा नगा समझौता- दिनकर कुमार
नगा विद्रोही संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आॅफ नगालिम (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट के साथ शांति प्रक्रिया आखिरकार अंतिम चरण में पहुंच गई है और उम्मीद की जा रही है कि कुछ ही महीने में समझौते के सारे प्रावधानों को सार्वजानिक तौर पर उजागर कर दिया जाएगा। नगा शांति प्रक्रिया की तरह पूर्वोत्तर के किसी उग्रवादी संगठन के साथ बातचीत की इतनी लंबी प्रक्रिया नहीं चली, न ही इतने सारे विवाद और...
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