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मजदूर के संघर्ष का प्रतीक- सिद्धेश्वर शुक्ला

सन् 1991 के बाद देश में आर्थिक सुधार के नाम पर बेतहाशा उदारीकरण की जो नीति अपनायी गयी, उसे सत्ता पक्ष और प्रमुख विपक्ष ने बड़ी मजबूती से केंद्र व राज्यों में लागू किया. उदारीकरण के दुष्परिणाम आज हमारे सामने हैं. उदारीकरण की नीतियों की वजह से न सिर्फ मजदूरों को नुकसान हुआ है, बल्कि परंपरागत उद्योग और कृषि बुरी तरह से चौपट होकर रह गये हैं. आज देश एक...

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क्या कागजी ही रहेगा बालश्रम कानून- किशोर

जनसत्ता 30 अप्रैल, 2013: मंत्रिमंडलीय समितिद्वारा बालश्रम (प्रतिबंधन एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 में संशोधन को मंजूरी दिए छह महीने से ज्यादा हो गए हैं, पर अभी तक यह संसद के दोनों सदनों में पास नहीं हो पाया है। इस संशोधन को राज्यसभा में पेश भी किया जा चुका है, पर मामला उससे आगे नहीं बड़ा है। इस अधिनियम में संशोधन के बाद चौदह वर्ष से कम आयु के बच्चों से...

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लड़कियां खौफ से करती हैं बंधुवा मजदूरी- रणजीत वर्मा

बीते सप्ताह तीन ऐसे मामले सामने आये जिससे पता चलता है कि नाबालिग लड़कियों को घर की मजबूरी या मालिक की जबरदस्ती की वजह से घरेलू नौकर बनाकर रखना आम बात हो गयी है। मामला रसूखदार परिवार का हो तो केस दर्ज करने से पुलिस भी घबराती है। पहला वाकया दो मार्च का है जब कांग्रेस पार्टी के नेता और प्रमुख व्यवसायी में गिने जानेवाले निवारणपुर निवासी चंचल चटर्जी के घर...

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11वें दिन भी जारी रहा केजरीवाल का उपवास: नेचुरोपैथी के सहारे है अनशन

नई दिल्ली. महंगी बिजली एवं पानी के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल का उपवास मंगलवार को 11वें दिन भी जारी रहा। शुगर से पीडि़त अरविंद की सेहत की निगरानी के लिए प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया जा रहा है। उनके दिन की शुरुआत ध्यान और योग से हो रही है और दिनभर मौन व्रत का पालन किया जा रहा है। उन्हें दिनभर में सिर्फ पांच से छह मिनट...

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क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...

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