यह अनियोजित विकास का ही नतीजा है कि आजादी के बाद से अब तक राजधानी से सटे निगोहां के दो गांव हरिहरपुर पटसा और जमादारखेड़ा बिना बिजली के अंधेरे में थे। रविवार का दिन दोनों गांवों के ग्रामीणों के लिए बिजली की सौगात के रूप में ढेरों खुशियां लेकर आया। विधायक चंद्रा रावत के उद्घाटन करते ही दोनों गांवों में बिजली चमक उठी इसी के साथ बच्चे, बूढ़े, युवा और महिलाएं सभी एक सुर...
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आर्थिक प्रगति और रोजगार के आंकड़े
नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के ताजा आंकड़ों को मायूस करनेवाली खबरों के मौसम में, एक राहत देनेवाली आमद माना जा सकता है. एनएसएसओ का कहना है कि 2009-10 से पहले के पांच वर्षो में भारत के शहरों और कस्बों में बेरोजगारी के स्तर में पर्याप्त कमी देखी गयी है. इन पांच वर्षो में बेरोजगारी दर 3.8 फीसदी से घट कर 2.8 फीसदी रह गयी. यह आंकड़ा 2009-10 से पहले...
More »आरटीआइ में आम आदमी की ताकत
मित्रो, सूचना का अधिकार पर हम लगातार बात करते रहे हैं. इस अधिकार के लागू हुए आठ साल पूरे हो गये. हमारे कई पाठकों और आरटीआइ एक्टिविस्टों ने इसे जनतंत्र के खास अवसर के रूप में याद किया. इन आठ सालों में आम से लेकर खास और गैर सरकारी से लेकर सरकारी लोगों ने इस कानून का अपने-अपने हित और हिसाब से खूब किया. इसका अनुभव भी विस्तृत रहा. इस अनुभव को...
More »भारत में सबसे ज्यादा बड़े कोयले के भंडार : होता है 20 अरब डॉलर का आयात
नई दिल्ली : किसी भी देश के विकास के लिए वहां की ऊर्जा का बहुत बड़ा हाथ होता है. आज भारतवर्ष के लिए ऊर्जा मुहैया करवाना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है. भारत में घर ऐसे भी हैं जहां पर अभी भी लोग मोमबत्ती के सहारे अपना काम कर रहे हैं, कई गावों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है. इनमें से करीब 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके...
More »जड़ों से पलायन की पीड़ा को समझिए- राजीव वोरा
तुलसी सिंह के गांव छोड़ने का दर्द मेरी ताजा बिहार यात्रा की भेंट है. बिहार के माओवादी कहलाते बांका जिले के चांदन प्रखंड स्थित फुलहरा गांव का तुलसी इलाके में हिंद स्वराज शिविरों-बैठकों में न केवल आगे बैठ हर बात को समझ कर नोट करता था, बल्कि अच्छे सवाल भी करता था. आम आदिवासियों की तरह निश्छल आंखें, ईमानदार, बुद्धिमान और सेवाभावी. मैंने उसमें वह तड़प देखी थी, जो अपने आसपास की बदहाली,...
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