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तिरछी नज़र: आत्मनिर्भर भारत के सबक़

-न्यूजक्लिक, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘सरकार जी’, जब से वे सरकार जी बने हैं, तब से ही बहुत कोशिश कर रहे हैं। सरकार जी देश को अपने ऊपर निर्भर बनाने की यथा संभव कोशिश कर रहे हैं। जब कभी भी कोई बात उठती है तो प्रश्न यही उठाया जाता है कि वे नहीं तो और कौन। अर्थात देश उन्हीं पर निर्भर है। सरकार जी और उनके सारे समर्थकों की...

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कोविड: सरकारी वादों के बावजूद निकट भविष्य में वैक्सीन की किल्लत का समाधान नज़र नहीं आता

-द वायर, अपनी गफलत भरी वैक्सीन नीति के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभी और अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है. देश के 29 राज्यों को अलग-अलग वैश्विक वैक्सीन निर्माताओं से सीधे वैक्सीन खरीदने की इजाजत देने का उनका फैसला- जिसे ज्यादातर लोगों द्वारा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के तौर पर देखा जा रहा है- भारत में उल्टा पड़ने वाला है. फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी वैश्विक कंपनियों की भारतीय...

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आलेख : नृशंस साम्राज्य

-आउटलुक, “ऐसा प्रचंड संकट आजादी के बाद से नहीं आया था, अब तो मोदी समर्थक भी मानने लगे हैं कि महामारी में सरकार का रवैया सारे दायित्व से हाथ झाड़ लेने का रहा है” इस 9 मई को पिंजरा तोड़ आंदोलन की अगुआ छात्र एक्टिविस्ट नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल कोविड महामारी से जंग हार गए। वे दुनिया से विदा होने के पहले अपनी बेटी से मिल या बात नहीं कर...

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किसान आंदोलन के बीच वित्त मंत्रालय ने रखा था कृषि संबंधी योजनाओं के बजट में कटौती का प्रस्ताव

-द वायर, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ जब देश के विभिन्न हिस्सों में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, इसी बीच वित्त मंत्रालय ने कृषि से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे कि खाद्य सुरक्षा मिशन, सिंचाई, जैविक खेती, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना इत्यादि के बजट में कटौती करने को कहा था. मंत्रालय ने दावा किया था कि इनमें से अधिकतर योजनाओं से ‘कोई लाभ’ नहीं हो रहा है....

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नरेंद्र मोदी के लिए राजनीतिक मुसीबत बन सकती है सरकारी संपत्तियों की थोक बिक्री

-द वायर, राजनीतिक-आर्थिक सुधारों के प्रति रवैये की बात करें, तो 2021 के नरेंद्र मोदी, 2015 के नरेंद्र मोदी से काफी अलग नजर आते हैं. इन दो अलग-अलग रवैयों के पीछे के कारण और प्रेरणाएं अपने आप में अध्ययन का विषय हैं. 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के ड्राफ्ट बजट प्रस्तावों को यहां याद किया जा सकता है. उस समय के सुधारों का केंद्रबिंदु आखिरकार सरकार के नियंत्रण में रह जानेवाले...

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