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10 फीसदी आरक्षण: सवर्णों के कंधे पर चुनावी बंदूक

124वें संविधान संशोधन विधेयक से यह बात साफ हो गई है कि इस सरकार को ऐसे क़दम उठाने में महारत हासिल हो गई है, जो उन्हीं लोगों को ले डूबते हैं, जिनके पक्ष में इनकी घोषणा होती है. नोटबंदी के शुरू में आम लोगों का बड़ा हिस्सा इस आनंद में डूब-उतरा रहा था कि काले धन वालों की फजीहत हो गई. मगर बाद में पता चला कि फजीहत तो उनकी हुई...

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सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला, विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में होगा विभागवार आरक्षण

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण अब विभाग के आधार पर दिया जाएगा न कि विश्वविद्यालय की कुल सीटों के आधार पर. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय को सही ठहराया जहां उसने कहा था कि आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को इकाई माना जाना चाहिए. इस फैसले को केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां मंगलवार को जस्टिस...

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सवर्ण आरक्षण: कोटे को लागू करने के लिए बढ़ाई जाएंगी 25 प्रतिशत सीटें

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में इसी सत्र से 25 फीसदी सीटें बढ़ाने का फैसला किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को बताया कि यह कदम गरीब सवर्णों को उच्च शिक्षा में 10% आरक्षण के मद्देनजर उठाया गया है। साथ ही यहभी स्पष्ट किया कि यह आरक्षण निजी उच्च शिक्षा संस्थानों पर भी लागू होगा। एसएसी-एसटी की सीटों पर नहीं होगा...

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सरकार के उच्च विभागों में निर्धारित सीमा से काफी कम है आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हालिया संविधान संशोधन के माध्यम से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उन लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था कर दी जिन्हें मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था का लाभ नहीं मिल रहा था. वहीं दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ सरकार के उच्च विभागों में ग्रुप-ए और ग्रुप-बी तथा अधिकतर...

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जीत गईं जातियां, हार गईं जातियां- जिल वर्निस

मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख हिंदी भाषी प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कांग्रेस की जीत 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से भारत में हुआ सबसे बड़ा राजनीतिक उलटफेर है। मगर नवनिर्वाचित विधायकों का जातिगत विश्लेषण यह बताता है कि इन दोनों सूबों में सत्ता का बंटवारा जिन-जिन सामाजिक समूहों में है, उनके सियासी रुतबे में इस राजनीतिक बदलाव के बावजूद कोई बड़ा फेरबदल नहीं हुआ है।...

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