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क्यों पूंजीवादी सरकारें बेरोज़गारी की कम और मुद्रास्फीति की ज़्यादा चिंता करती हैं?

-न्यूजक्लिक, पूंजीवादी सरकारें हमेशा ही बेरोजगारी बढ़ाने के जरिए मुद्रास्फीति पर नियंत्रण कायम करने की कोशिश करती हैं। इसका, इन दोनों के बीच किसी टिकाऊ संतुलन में उनके विश्वास से यानी दोनों को आपस में जोडऩे वाले किसी स्थिर चाप पर विश्वास करने से, कुछ लेना-देना नहीं है। यहां तक कि जो लोग मुद्रास्फीति के दूसरे-दूसरे कारण मानते हैं, जैसे मुद्रा की फालतू आपूर्ति (‘मालों की कम मात्रा के पीछे जरूरत...

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घर में झाड़ू-पोंछा लगाने से लेकर पद्म श्री तक का सफर, पढ़िए दुर्गा बाई की प्रेरक कहानी

-द बेटर इंडिया, मूल रूप से मध्य प्रदेश के डिंडोरी के छोटे से गांव बुरबासपुर की रहने वाली दुर्गा बाई व्योम (Durga Bai Vyom) कभी स्कूल नहीं गईं। लेकिन कला के दम पर उन्होंने देश में अपनी एक खास जगह बनाई है। दरअसल, दुर्गा बाई को आदिवासी कला को एक नई ऊंचाई देने के लिए हाल ही में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।  लेकिन उनकी यहां तक पहुंचने की...

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प्रगतिशील किसान सेठपाल सिंह को मिलेगा पद्मश्री पुरस्कार, बीएससी के बाद खेती शुरु करने वाले किसान की कहानी

-गांव कनेक्शन, सेठपाल सिंह का खेत किसी प्रयोगशाला से कम नहीं, अपने 15 हेक्टेयर खेत में वो धान, गेहूं, गन्ना जैसी फसलों के साथ ही लौकी, मिर्च, गोभी, मिर्च जैसी सब्जियों की खेती भी करते हैं। यही नहीं वो खेत में सिंघाड़े की भी खेती करते हैं, पिछले कुछ साल में उन्होंने कमल की भी खेती शुरू की है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर किसान गन्ने की खेती ही करते हैं,...

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राष्ट्रीय बालिका दिवस : लड़कियों को अब मिल रहे हैं अधिकार, पर क्या सशक्त हुईं बेटियां?

-न्यूजक्लिक, भारत के इतिहास में 24 जनवरी का दिन महिला शक्ति और सशक्तिकरण के लिए याद किया जाता है। इस दिन साल 1966 में 24 जनवरी को इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। और आज ही के दिन साल 2009 में महिला बाल विकास मंत्रालय ने पहली बार देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत की थी। लड़कियों को समर्पित ये दिन...

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पूंजीवाद के अंतर्गत वित्तीय बाज़ारों के लिए बैंक का निजीकरण हितकर नहीं

-न्यूजक्लिक, प्रख्यात अर्थशास्त्री, जॉन मेनार्ड केन्स के सबसे महत्वपूर्ण तर्कों में से एक यह था कि पूंजीवाद के अंतर्गत वित्तीय बाजारों का संचालन, गहराई तक त्रुटिपूर्ण होता है। इस तरह के बाजार अंतर्निहित रूप से एक ओर ‘उद्यम’ और दूसरी ओर ‘सट्टे’ में भेद कर पाने में ही असमर्थ होते हैं। याद रहे कि उद्यम वह होता है जिसमें किसी परिसंपत्ति को उसका स्वामी अपने पास इसलिए रखता है ताकि वक्त...

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