-सत्याग्रह, 24 जुलाई 2017 को जब प्रोफेसर यशपाल को आख़िरी बार देखा तो लगा कि जीवन से विदा लेते समय शायद उनको कोई पछतावा नहीं रहा होगा. इस शरीर ने और उसके हरेक अंग ने वह हर काम पूरी तरह कर लिया था जिसकी उससे उम्मीद थी. आंखों ने देखा और अंतरिक्ष की गहराइयों में झांककर कर दूर-दूर तक देखा, पैरों ने अनंत दूरियां तय कीं, हाथों ने ऐसी चीज़ें बनाईं...
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इंटरव्यू- भारत में व्यावसायिक राजनीति है: मीरा नायर
-आउटलुक, सलाम बॉम्बे (1988) और मॉनसून वेडिंग (2001) जैसी सदाबहार फिल्मों के लिए पहचानी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्मकार मीरा नायर ने बीबीसी वन टेलीविजन की मिनी सीरीज के साथ वापसी की है। 1993 में विक्रम सेठ के बेस्ट सेलर उपन्यास ए सूटेबल बॉय पर इसी नाम से उन्होंने यह मिनी सीरीज बनाई है, जो अब नेटफ्लिक्स पर देखी जा सकती है। न्यूयॉर्क में रहने वाली फिल्मकार ने गिरिधर झा...
More »प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार और पीडीएस का सार्वभौमीकरण (सभी के लिए)
श्री नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत भारत सरकार माननीय प्रधानमंत्री जी, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार और पीडीएस का सार्वभौमीकरण (सभी के लिए) प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के बारे में हमारी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए हम आपको लिख रहे हैं। देश भर में मुफ्त राशन वितरण केवल नवंबर, 2020 तक ही लागू है। इस योजना के तहत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) के तहत 'प्राथमिकता' या AAY राशन कार्ड वाले सभी व्यक्तियों को...
More »लोक कल्याणकारी बॉलीवुड थोड़े ही है: पंकज त्रिपाठी
-आउटलुक, आज पंकज त्रिपाठी की गणना उन चंद अभिनेताओं में होती है, जिन्हें अपनी प्रतिभा के बल पर प्रसिद्धि मिली। लेकिन उन्हें यह मुकाम एक दशक से अधिक के कड़े संघर्ष के बाद हासिल हुआ। ‘कालीन भैया’ के किरदार के रूप में उन्होंने अमेजन प्राइम वीडियो के वेब शो मिर्जापुर में खूब वाहवाही लूटी। इस वेब सीरीज का दूसरा सीजन 23 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। गिरिधर झा से उन्होंने...
More »किसानों में आक्रोश को लेकर गांधी ने जो चेतावनी दी थी क्या आज हम उसी का सामना कर रहे हैं?
-सत्याग्रह, आधुनिक भारत में संगठित किसान आंदोलन के जनकों में से एक प्रोफेसर एनजी रंगा स्वयं एक किसान के बेटे थे. उन्होंने गुंटूर के ग्रामीण विद्यालय से लेकर ऑक्सफर्ड तक में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी और वे गांधी से बेहद प्रभावित थे. गांधी से मिलते तो सवालों की झड़ी लगा देते थे और कई बार लंबी-लंबी प्रश्नावली पहले से लिखकर उन्हें सौंप देते थे. 1944 में जब गांधी जेल से...
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