-न्यूजलॉन्ड्री, जीएम फूड को भारत में अनुमति देने वाले फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसआई) के सार्वजनिक किए गए प्रारूप पर लगातार आपत्तियां दर्ज कराई जा रही हैं. 3 फरवरी, 2022 को एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को देश के 162 पेशेवर चिकित्सकोें ने पत्र भेजकर संयुक्त तौर पर प्रारूप के प्रावधानों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. पेशवर चिकित्सक समूह ने कहा है...
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कोविड-19 और दीर्घकालिक गरीबी: ग्रामीण राजस्थान से साक्ष्य
-आइडियाज फॉर इंडिया, प्रारंभिक गणना के आधार पर, भारत में कोविड-19 के कारण 7.7 से 22 करोड़ लोग गरीबी में आ गए हैं, जिसके अनुसार अब शहरी आबादी में गरीब 60% और ग्रामीण आबादी में 70% हो गए हैं। वर्ष 2002 में ग्रामीण राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के 2021 में किये गए फॉलोअप के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि परिवारों को मार्च 2020-अगस्त 2021 के दौरान अपनी नकद आय का...
More »केंद्रीय बजट 2022-23 में पूंजीगत खर्च बढ़ाने के पीछे का सच
-न्यूजक्लिक, वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2022-23 एक ही जुनून (obsession) पर आधारित है। यह जुनून बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) बढ़ाने का है। धारणा यह है कि इस तरह के big-ticket वाले बुनियादी ढांचे के खर्च से अतिरिक्त मांग पैदा होगी और निजी निवेश का खुद ही प्रवेश होगा, और इस तरह विकास को बढ़ावा मिलेगा। न्यूज़क्लिक ने पूर्व वित्त सचिव श्री एस.पी. शुक्ला से केंद्रीय...
More »बिहार में शराबबंदी के बाद बढ़ते नशे के मामले; तस्करी और अवैध व्यापार में इज़ाफ़ा
-इंडिया स्पेंड, बिहार के सहरसा जिले की महिषी पंचायत के 55 वर्षीय धनंजय पौद्दार सालों से शराब पीते आ रहे थे। साल 2016 में नितीश कुमार सरकार के द्वारा की गई शराबबंदी के बाद धनंजय को जब शराब मिलना बंद हुई तो उन्होंने ताड़ी और गांजे का सहारा लिया। "लेकिन हमें गांजा का ऐसा नशा लग चुका है कि अगर किसी दिन गांजा नहीं मिले तो शरीर में अजीब सा होने...
More »39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं
-रूरल वॉइस, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं, इंडस्ट्री के लिए भी प्रावधान थोड़े वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में इनकम टैक्स दर या स्लैब से संबंधित प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया है। महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपये से...
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