नवउदारवाद के निजामों ने पिछले ढाई दशकों के दौरान स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के उदारवादी मूल्यों को चुनौती दी। बाजार के हाहाकार में सामंती मूल्यों को ही स्थापित करने की कोशिश की गई। स्त्रियों, दलितों सहित अन्य दमित वर्गों को समझाया गया कि बाजार सारी गैरबराबरी मिटा देगा। गुजरात का विकास मॉडल अभी बाजार में भुनाया ही जा रहा था कि कलक्टर साहब के दफ्तर के आगे और सड़कों पर...
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शासन की भटकी प्राथमिकताएं-- उर्मिलेश
अपनी हाल की पूर्वी उत्तर प्रदेश यात्रा में मुझे बार-बार इस बात का एहसास होता रहा कि किस तरह हमने अपने वास्तविक मसलों को छोड़ कर अनावश्यक सियासी विवादों को प्राथमिकता में शुमार कर लिया है! यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति, एक दल या एक सरकार की बात नहीं है, ऐसा लगता है मानो यह हमारा राष्ट्रीय स्वभाव बन गया है. बड़े राजनीतिक दलों के बड़े पदाधिकारी भी एक-दूसरे को...
More »छत्तीसगढ़ : भाजपाई नपं अध्यक्ष ने दी गालियां, फिर यूं चलाई लात
दंतेवाड़ा। गीदम साप्ताहिक बाजार में रविवार को नगर पंचायत अध्यक्ष ने दबंगई दिखाते हुए सड़क किनारे पसरा लगाई एक महिला के साथ गाली-गलौज करने के बाद सब्जियों को लात मारकर उसकी दुकान हटवा दी। अन्य पसरा वालों से भी उन्होंने दुर्व्यवहार किया। इसका वीडियो वायरल होते ही उन्होंने फौरन माफी भी मांग ली और सफाई में कहा कि धोखे से सब्जियों पर पैर पड़ गया। वहीं दूसरी ओर आप नेत्री...
More »संवेदनशील बने मुआवजे का तंत्र- योगेन्द्र यादव
राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में किसान ओलावृष्टि का मुआवजा मांगने कलेक्टर के पास गए। मुआवजे के बदले उन्हें मिली गालियां और गिरफ्तारी की धमकियां। इसमें कुछ नई बात नहीं है। किसानों को आए दिन सरकारी दफ्तरों में अपमान झेलना पड़ता है। नई बात सिर्फ यह थी कि इस घटना का वीडियो बना और टी.वी. पर चल गया। इस बहाने देश का ध्यान रबी की फसल के नुकसान और मुआवजे की...
More »हंगामा सिर्फ मैगी को लेकर क्यों- तवलीन सिंह
पिछले सप्ताह मैगी नूडल्स को लेकर जमकर हंगामा हुआ। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे नहीं गए। उदाहरण के लिए, जिन विशेषज्ञों ने तय किया कि मैगी में सीसा खतरनाक हद तक पाया गया है, उनका इन चीजों में अनुभव कितना है? जिन प्रयोगशालाओं में इसकी जांच की गई है, वे कितने आधुनिक हैं? नेस्ले खाद्य पदार्थों की दुनिया में सबसे बड़ी कंपनी है, तो क्या भारत के बाजारों में लाने...
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