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आज भी मजबूर हैं बच्चे

बाल श्रम के क्षेत्र में काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिलना देश के लिए गौरव की बात है। पर यह सवाल आज भी उतनी ही शिद्दत से हमारे सामने है कि कब हमारे देश से बाल श्रमिकों का उन्मूलन होगा। हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक चूड़ी कारखाने से बिहार के 140 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया। यह बताता है कि बाल...

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आत्मनिर्भरता ने दी तरक्की - सचिन चतुर्वेदी

देश के पिछड़े राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव में हर आदमी अदब से फुलबासन यादव का नाम लेता है। सातवीं जमात तक पढ़ीं यादव ने जिले की हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया है... बदला जीने का तरीका 10 साल की उम्र में हो गई शादी 570 बाल विवाह रुकवाने में कामयाब रहीं 2012 में भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा 37 लाख रुपये का पुरस्कार मिल चुका है उनकी...

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आत्मनिर्भरता ने दी तरक्की - सचिन चतुर्वेदी

देश के पिछड़े राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव में हर आदमी अदब से फुलबासन यादव का नाम लेता है। सातवीं जमात तक पढ़ीं यादव ने जिले की हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया है... बदला जीने का तरीका 10 साल की उम्र में हो गई शादी 570 बाल विवाह रुकवाने में कामयाब रहीं 2012 में भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा 37 लाख रुपये का पुरस्कार मिल चुका है उनकी...

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मां-बाप परदेस में,बच्चे स्कूल में- पुष्यमित्र

लगभग दस साल की पिंकी पिछले कुछ सालों तक हर साल अपने माता-पिता के साथ कोलकाता के उपनगर में स्थित एक ईंट-भट्ठे में चली जाती थी. साल के सात से आठ महीने का वक्त वहीं गुजरता था. वहां उसके माता-पिता जहां सुबह से देर शाम तक मजदूरी करते थे, उसका काम अपने दूसरे भाई-बहनों की देख-भाल करना. खाना पकाना और घर संभालना था. जरूरत पड़ने पर उसे ईंट ढोने के लिए...

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हे भगवान प्लास्टिक- सुसान फ्रिंकेल

लगभग नब्बे बरस पहले हमारी दुनिया में प्लास्टिक नाम की कोई चीज नहीं थी. आज शहर में, गांव में, आस-पास, दूर-दूर जहां भी देखो प्लास्टिक ही प्लास्टिक अटा पड़ा है. गरीब, अमीर, अगड़ी-पिछड़ी पूरी दुनिया प्लास्टिकमय हो चुकी है. सचमुच यह तो अब कण-कण में व्याप्त है--शायद भगवान से भी ज्यादा! मुझे पहली बार जब यह बात समझ में आई तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं एक प्रयोग करके देखूं-...

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