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किसानों के लिए भारतीय किसान यूनियन की सरकार से 1.5 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की मांग

-गांव कनेक्शन,  भारतीय किसान यूनियन ने 17 अप्रैल को अन्तर्राष्ट्रीय किसान संघर्ष दिवस दिवस मनाया। इस दौरान देश के कई इलाकों में किसान अपने घरों और खेतों में कृषि यंत्रों के साथ खड़े होकर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करते नजर आए। ये किसान कोविड-19 महामारी से किसानों को हो रहे नुकसान के लिए आर्थिक पैकेज की मांग कर रहे थे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश...

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क्या किसान-आंदोलन अब देश की राजनीति का मुख्य कथानक बन चला है?- योगेन्द्र यादव

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के झंडे तले देश के कोने-कोने से हज़ारों हज़ार की तादाद में किसान दिल्ली आ डटे थे. एआईकेएससीसी 200 से ज़्यादा किसान-संगठनों का एक समवेत मंच है. ये पहला मौका था जब मीडिया ने सड़क-जाम या फिर कानून-व्यवस्था का मसला कहकर कन्नी नहीं काटी बल्कि किसान-रैली को सही में किसान-रैली कहकर ही लोगों को बताया-दिखाया. दोपहर बाद का सत्र राजनीतिक दलों के लिए...

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किसान आंदोलन का नया स्वरूप- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

किसानों के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि खेती किसानी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यह तो तय है कि जैसे-जैसे उत्पादन में उद्योग धंधे और पूंजी का महत्व बढ़ता जायेगा, वैसे-वैसे किसानों की हालत बिगड़ती जायेगी. दुनियाभर के पूंजीवादी देशों को देखकर लगता है कि बिना सरकारी सहायता के किसानों की हालत अच्छी नहीं हो सकती है. भारत में पूंजीवाद के बढ़ते कदम...

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सुनिश्चित हो खाप की जवाबदेही-- जगमती सांगवान

अभी कुछ ही दिन पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि दो वयस्कों की शादी में कोई भी बाधा नहीं बन सकता. ऑनर किलिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने खाप पंचायतों को फटकार लगायी थी कि बालिग लड़के-लड़की की शादी के उनके फैसले में कोई भी दखल नहीं दे सकता. ऐसा करने का किसी को भी कोई अधिकार नहीं...

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राजनीतिक शक्ति बनें किसान-- राजकुमार सिंह

अगर किसी कृषि प्रधान देश में कृषि और किसान ही संकट में आ जायें तो देश की दशा-दिशा का अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं होना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यह बात दशकों से पाठ्य पुस्तकों में पढ़ायी जाती रही है, क्योंकि लगभग 80 प्रतिशत तक आबादी जीवनयापन के लिए कृषि और उससे जुड़े काम-धंधों पर निर्भर रही है। इसलिए ग्रामीण भारत को ही असली भारत भी कहा...

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