-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप-26) के तहत 31 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच चलने वाला 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अपनी निर्धारित समय-सीमा से एक दिन आगे तक चला। वैश्विक जलवायु संकट से निपटने को अपने प्रयासों मे तेजी लाने के लिए अंततः इसमें ग्लासगो जलवायु समझौता (जीसीपी ) पर सहमति बनी। अंतिम सत्र में 197 देशों द्वारा तैयार जीसीपी में जिन सिद्धांतों का...
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धरती पर पानी क्या ख़त्म हो रहा है?
-बीबीसी, कुछ महीनों पहले की बात है. ईरान में अभूतपूर्व सूखे और बारिश की कमी की वजह से नदियाँ सूख गईं. पूरे देश में पानी की कमी को लेकर भीषण विरोध प्रदर्शन हुए. साल 2019 में भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक चेन्नई का पानी संकट अख़बारों की सुर्खियां बना. उस वक़्त बहस छिड़ी कि बढ़े उद्योग, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन का असर किस तरह का कहर बरपा सकता है. साल 2018 में भीषण सूखे की वजह...
More »देश की जरूरत को अनदेखा कर भारत में निर्मित जॉन्सन एंड जॉन्सन वैक्सीन की 60 करोड़ खुराक पश्चिमी देशों को देने की तैयारी?
-कारवां, ऐसे समय में जब भारत अपने ही नागरिकों का टीकाकरण पर्याप्त रूप से नहीं कर पा रहा है, हैदराबाद में निर्मित जॉन्सन एंड जॉन्सन सिंगल-शॉट टीकों की 60 करोड़ खुराकें यूरोप तथा अमेरिका को निर्यात करने पर विचार हो रहा है. इस बात को लेकर नागरिक समाज चिंतित है. यहां सितंबर में लगभग हर दिन कोरोना के 30 से 40 हजार नए मामले दर्ज किए गए हैं. अब तक देश की केवल 14...
More »हर साल निकाली जा रही 5,000 करोड़ टन रेत, भारत सहित 70 देशों में होता है अवैध खनन
-डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में हर साल करीब 5,000 करोड़ टन रेत और बजरी नदियों, झीलों आदि से निकाली जा रही है। देखा जाए तो यह दुनिया में सबसे ज्यादा खनन की जाने वाली सामग्री है। आज जमाव से कहीं ज्यादा तेजी से इनका अंधाधुंध खनन हो रहा है, नतीजन यह अनेक पर्यावरण, स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं को जन्म दे रहा है। हाल ही में इसपर मैकगिल और कोपेनहेगन विश्वविद्यालय द्वारा...
More »दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय हिंसा की आग ठंडी नहीं पड़ती कि फिर सुलगने लगती है
-न्यूजलॉन्ड्री, हाल ही में दक्षिण अफ्रीका एक बार फिर से सुर्खियों में छाया रहा और इस बार भी वहीं सालों पुरानी नस्लीय हिंसा की घटना को लेकर ही जिससे उबरने को लेकर इस देश ने लंबा संघर्ष किया है. लेकिन इस संघर्ष की उपलब्धियों पर गाहे-बगाहे चोट पहुंचती रहती है और बमुश्किल वहां बने सकारात्मक माहौल को बिगाड़ती रहती है. हम एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका को नस्लीय हिंसा की आग...
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