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भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्ती दिखाएं- शिवदान सिंह

भ्रष्टाचार निवारण कानून, 1988 के संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से राज्यसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया है। इस विधेयक के मुताबिक, रिश्वत देने वाला भी अपराधी माना जा सकता है तथा भ्रष्ट कर्मचारी की आय से अधिक अर्जित संपत्ति को विशेष जज की अनुमति से जब्त करने का प्रावधान है। कॉरपोरेट तथा व्यापारिक संस्थानों द्वारा दी गई रिश्वत को भी इसमें शामिल किया गया है। सेवानिवृत्त अधिकारी के...

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करोड़ों अकेले-बेबस लोगों का देश - पुण्य प्रसून वाजपेयी

देश में 50 करोड़ से ज्यादा वोटर किसी राजनीति दल के सदस्य नहीं हैं. ये वोटर अपनी-अपनी जगह अकेले हैं. लेकिन, एक-एक वोट की ताकत साथ मिलकर जब किसी राजनीतिक दल को सत्ता तक पहुंचा देती है, तब वह दल अकेले नहीं होता.  हां, उसके भीतर का संगठन एक होकर सत्ता चलाते हुए वोटरों को फिर अलग-थलग कर देता है. यानी जनता की एकजुटता वोट के तौर पर नजर आये...

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आपातकाल से हमने क्या सीखा- नीलांजन मुखोपाध्याय

किसी भी देश में थानेदार मानसिकता वाले लोगों की बड़ी संख्या आपको मिल जाएगी। भारत में इस तरह की सोच दरअसल औपनिवेशिक मानसिकता वाले ऐसे लोगों के जरिये आई है, जिन्हें अंग्रेजों ने स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया था। स्थानीय थाने के वे दारोगा हमारे आदर्श बने, जिनके पास निरंकुश क्षमता थी और जिन्हें अपने अधीनस्थों को किसी भी किस्म की सफाई देने की जरूरत नहीं थी। गणतंत्र...

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एनजेएसी पर सरकार-न्यायपालिका आमने-सामने

उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की नई प्रणाली एनजेएसी की संवैधानिक वैधता की सुनवाई के दौरान न्यायपालिका और सरकार सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आ गई। सरकार ने कोलेजियम को अपारदर्शी और ऐसे लोगों को जज बनाने की सिफारिशें करने वाला तंत्र बताया, जो भ्रष्टाचार में और कदाचार लिप्त थे। केंद्र सरकार ने कहा कि कोलेजियम ने 59 वर्षीय एक महिला वकील को कोलकाता हाईकोर्ट का जज बनवाया, क्योंकि वह तत्कालीन...

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सरकार और अदालत के दायरे - जगदीप धनकड़

यदि हाल के दिनों में मीडिया में आई खबरों और रिपोर्टों की मानें तो कहा जा सकता है कि न्यायिक सक्रियता अपने चरम पर है। मीडिया में अकसर इस आशय की खबरें छपती हैं कि अदालत ने फलां मामले में सरकार को आड़े हाथों लिया है या उसे लताड़ लगाई है। कई मामलों में तो अदालत ने विपक्षी दलों से भी ज्यादा सरकार की मुखालफत की है। कभी-कभी ऐसा भी...

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