-कारवां, सार्वजनिक सेक्टर के उद्यमों का निजीकरण करने की मोदी सरकार की योजना पर जारी बहस से कुछ हद तक पुरानी बहसों की याद आती है. सरकार के समर्थन में निजीकरण की पैरवी करने वाले लोग दलील दे रहे हैं कि निजीकरण हमेशा ही सार्वजनिक सेक्टर के लिए कारगर रहा है. वे नहीं जानते लेकिन इस दलील का तार्किक विस्तार करें तो यह बेतुका लेकिन जायज सवाल भी किया जा सकता है...
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एक शताब्दी पहले के मुजारा आंदोलन में अपनी जड़े तलाशता मौजूदा किसान आंदोलन
-कारवां, “मुजारों ने बिस्वेदरी प्रणाली के खिलाफ लड़ाई लड़ी. मौजूदा आंदोलन कारपोरेट पूंजीवाद के खिलाफ है,'' पंजाब के मनसा जिले के बीर खुर्द के किसान किरपाल सिंह बीर ने मुझे बताया. 1920 के दशक में जब पंजाब का बंटवारा नहीं हुआ था, पट्टेदार किसानों ने राजाओं, जमींदारों और ब्रिटिश अधिकारियों से भूमि स्वामित्व अधिकार के लिए आंदोलन किया था. उस आंदोलन को मुजारा आंदोलन के नाम से जाना जाता था. किरपाल...
More »कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...
More »क्या किसानों को तबाह कर के पूरी की जाएगी भारतमाला परियोजना?
-जनपथ, इस पूंजीवादी मॉडल की बेतरतीब योजनाओं में भारत की बुनियाद का तिनका-तिनका धरा पर बिखरता जा रहा है। किसान नेमत का नहीं बल्कि सत्ता की नीयत का मारा है। भारतमाला परियोजना के तहत बन रही सड़कें किसानों में बगावत के सुर पैदा कर रही हैं। इस योजना के तहत छह लेन का एक हाइवे गुजरात के जामनगर से पंजाब के अमृतसर तक बन रहा है, फिर आगे हिमालयी राज्यों तक...
More »कैसी होगी कोविड-19 के बाद दुनिया-3: पूंजीवाद रहेगा या समाजवाद
-डाउन टू अर्थ, माना जा रहा है कि कोरोनावायरस बीमारी (कोविड-19) के बाद दुनिया में बड़ा बदलाव आएगा। इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ सुरे के सेंटर फॉर द अंडरस्टैंडिंग ऑफ सस्टेनेबल प्रोस्पेरिटी के ईकोलॉजिकल इकोनोमिक्स में रिसर्च फेलो सिमोन मेयर ने इस विषय पर एक लंबा लेख लिखा, जो द कन्वरसेशन से विशेष अनुबंध के तहत डाउन टू अर्थ में प्रकाशित किया जा रहा है। इसकी पहली कड़ी में आपने पढ़ा, कैसी...
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