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मुद्दों से ज्यादा प्रचार पर भरोसा-- संजय कुमार

चुनाव अभियानों का रूप-रंग हाल के वर्षों में काफी बदल चुका है। हालांकि किसी प्रत्याशी को अब अपने प्रचार के लिए निर्वाचन आयोग दो सप्ताह का ही वक्त देता है, जबकि पहले 21 दिन का समय मिलता था, लेकिन व्यावहारिक तौर पर अब चुनाव अभियान अतीत की तुलना में कहीं अधिक व्यापक हो गया है। मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए भी आधिकारिक तौर पर चुनाव अभियान की शुरुआत पहले चरण...

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बात पशुओं के अधिकारों की भी हो- विजय गोयल

कुछ समय पहले खबर आई कि इंदौर की पॉश कॉलोनी में एक तेंदुआ घुस आया, जिसने कई लोगों को घायल कर दिया। ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ, विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों द्वारा शहर में आकर उत्पात मचाने की खबरें आती रहती हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? शेर, बाघ, तेंदुआ, भालू और हाथी जैसे जंगली जानवर शहरों में घुसकर उत्पात मचा रहे हैं और कई बार भीड़...

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भूख से मौत और उसके बाद-- ज्यां द्रेज

सिमडेगा जिले की संतोषी कुमारी की भूख से मौत के बाद आज बारह महीने बीत चुके हैं. इन बारह महीनों में झारखंड में भूख से मौतों की कम-से-कम पंद्रह और खबरें आयीं हैं. शायद किसी राजनीतिक दल या अतिसक्रिय पत्रकार की कृपा से इन पंद्रह घटनाओं में से एक या दो अतिरंजित हुई होंगी, लेकिन इनमें अधिकतर ऐसी घटनाएं हैं, जिनकी जांच ध्यान से की गयी है और उन्हें सही...

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सोशल मीडिया नहीं, हमें सुधरना होगा-- हरजिंदर

वे अपने-अपने ढंग से सफाई में जुट गए हैं। ट्व्टिर ने उन एकाउंट को बंद करना शुरू कर दिया है जो उसके हिसाब से फर्जी हैं। व्हाट्सएप ने अपने नए अपडेट के साथ ऐसी व्यवस्था की है कि अब अगर कोई संदेश फॉरवर्ड होगा तो पता पड़ जाएगा कि यह मूल रूप से तैयार किया हुआ संदेश नहीं है बल्कि इधर का माल उधर है। हालांकि इन सबका बड़ा नतीजा...

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साइबर शोहदों से किनारा कीजिए-- शशि शेखर

सरकार लोगों को मुझसे प्रेम करने के लिए तैयार नहीं कर सकती, मगर भीड़ को मेरी जान लेने से जरूर रोक सकती है। तफरीहन, यूरोप की हसीन वादियों में घूम रहे मेरे एक आत्मीय को पिछले दिनों मार्टिन लूथर किंग जूनियर के ये शब्द बार-बार याद आए। वजह? उनसे बार-बार घुमा-फिराकर पूछा गया कि आप हिन्दुस्तानी क्या बलात्कारी और रक्त पिपासु हैं? जवाब में उन्होंने पुरातन संस्कृति से लेकर नई...

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