-डाउन टू अर्थ, मूलरूप से बिहार के पूर्णिया जिले में रहने वाले सुरेश वर्मा आठ साल पहले बेहतर जिंदगी की तलाश में औद्योगिक नगरी फरीदाबाद आए थे। शुरू में उन्होंने एक फैक्ट्री में नौकरी की लेकिन चार साल पहले फैक्ट्री में छंटनी के कारण उनकी नौकरी चली गई। नौकरी छूटते ही उन्होंने पहले मजदूरी और फिर राजमिस्त्री का काम शुरू कर दिया। लॉकडाउन ने उनका यह काम भी छीन लिया। उनके...
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"सरकार का पैसा वापस चला जाएगा"... इस अफवाह ने बढ़ा रखी है बैंकों के बाहर भीड़?
-गांव कनेक्शन, तेज धूप के बाद एकाएक बारिश शुरु हो गई थी, लेकिन आशा देवी बैंक के बाहर लगी लाइन में खड़ी रहीं। उन्होंने अपना विड्राल फार्म पासबुक के अंदर रखकर पल्लू में छिपा लिया। आशा को न धूप से दिक्कत थी न बारिश से और ना ही भीड़ के चलते कोरोना से संक्रमित होने की आशंका, उन्हें अपने 500 रुपए की चिंता थी, जो सरकार ने उनके जनधन खाते में...
More »यस बैंक की विफलता के 6 अदृश्य प्रभाव
-न्यूजलॉन्ड्री, अर्थशास्त्र में कुछ प्रत्यक्ष प्रभाव होते है और कुछ अदृश्य प्रभाव होते हैं. बहुधा अदृश्य प्रभाव कहीं ज्यादा खतरनाक असर डालते हैं बनिस्बत प्रत्यक्ष प्रभावों के. जैसे यस बैंक के मामले को ही देखते हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यस बैंक से पैसे निकालने की मात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है. 50,000 रुपये से ज्यादा निकालने पर ये रोक लगी है. इसका प्रत्यक्ष प्रभाव यह है कि अगर किसी खाताधारक के...
More »पीएमसी बैंक: चौथे खाताधारक की मौत, इलाज के लिए कथित तौर पर नहीं जुटा पाए थे पैसे
मुंबई: संकट में घिरे पंजाब एंड महाराष्ट्र (पीएमसी) बैंक के एक और खाताधारक की बीते शुक्रवार को मौत हो गई. मृतक के परिजनों का दावा है कि बैंक से जमापूंजी की निकासी नहीं हो पाने की वजह से खाताधारक अपना इलाज नहीं करा पाया. 83 वर्षीय मुरलीधर धर्रा की मौत मुंबई के उपनगरीय मुलुंद इलाके में स्थित आवास पर शुक्रवार को हुई. मृतक के पुत्र प्रेम धर्रा ने यह जानकारी दी. उन्होंने...
More »नरेगा के बजट मे कटौती और आधार लिंकित भुगतान कामगारों के हक का उल्लंघन: नरेगा संघर्ष मोर्चा
नयी सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए चालू वित्तवर्ष में मात्र 60,000 रुपये आबंटित किये हैं. यह रकम साल 2018-19 के संशोधित बजट अनुमान (नरेगा) की तुलना में 1,084 करोड़ रुपये कम है. पिछले साल जिस तादाद में रोजगार गारंटी योजना के तहत काम की मांग की गई, अगर सरकार उन्हें पूरा करती और मजदूरी का भुगतान श्रमिकों को समय पर होता तो नरेगा के मद में...
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