भारत कृषि प्रधान देश है। आज भी देश के किसानों का एक बड़ा वर्ग अपनी फसलों के लिए बादलों की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखता है। मानसून का अच्छा या बुरा होना, हमारी फसलों की पैदावार के अच्छे या बुरे होने को तय करता है। लेकिन बदली जीवन शैली में जिन लोगों का कृषि संबंधी गतिविधियों से सीधा सरोकार नहीं है, मानसून उनसे भी अपने यथोचित स्वागत की अपेक्षा...
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बिन पानी सब सून : देश के दस से ज्यादा राज्यों में हालात गंभीर
सूखे का संकट रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून॥ हिमांशु ठक्कर वर्षों पूर्व रहीम की वाणी ने जिस संकट के प्रति आगाह किया था, वह आज फिर यथार्थ के रूप में हमारे सामने है. कुछ माह पहले तक सूखे का जो संकट मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कुछ इलाकों तक सीमित था, वह अब देश के दस से ज्यादा राज्यों में फैल चुका है. सूखे और...
More »किसमें कितना है दम-- कोका-कोला और ग्राम पंचायतों की जंग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनावी अखाड़े के रुप में पिछले साल सुर्खियों में रहा बनारस इस साल जनसंघर्षों के कारण चर्चा में है. इलाके के 18 ग्राम पंचायतों ने उत्तरप्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि मेहदीगंज स्थित कोका-कोला संयंत्र को भूजल के दोहन से तत्काल रोका जाय.(देखें नीचे दी गई लिंक). भूजल के दोहन की मांग करने वाले ग्राम पंचायत मेहदीगंज स्थित कोका-कोला बॉटलिंग संयंत्र...
More »सूखे का साया
आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...
More »पानी का संकट पहल का इंतजार
उत्तर भारत, खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की धरती के नीचे का जल-स्तर गिरता जा रहा है। नासा की हालिया रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक की गई है कि बढ़ते शहरीकरण और सिंचाई पर ज्यादा निर्भरता के कारण भारत गंभीर जल संकट की तरफ बढ़ चला है। जिंदगी के लिए जरूरी जल-संसाधन के गहराते संकट पर संजय शर्मा की प्रस्तुति कुएं भले ही अतीत की चीज हो गए हैं, लेकिन...
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