किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...
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प्रभावी जनस्वास्थ्य प्रबंधन -- बिभाष
भारत के रजिस्ट्रार जनरल एवं सेंसस कमिश्नर ने गत दिसंबर में 'रिपोर्ट ऑन मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉजेज ऑफ डेथ-2013' भारत सरकार को सौंपा. जन्म एवं मृत्यु पंजीयन अधिनियम 1969 के अंतर्गत नागरिक पंजीयन व्यवस्था से प्राप्त आंकड़ों की यह इस शृंखला में चालीसवीं रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में इकत्तीस राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त आंकड़ों को बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण के दसवें संस्करण (1993) के अनुसार वर्गीकृत किया...
More »वर्ल्ड प्रीमेच्योरिटी डे : देश में जन्म लेनेवाला हर तीसरा बच्चा है प्रीमेच्योर
भारत समेत दुनिया के अनेक विकासशील देशों में शिशुओं की दशा खराब है. हालांकि इसके अनेक कारण हैं, लेकिन प्रीमेच्योर यानी समयपूर्व जन्म होना शिशुओं की सेहत के लिए एक बड़ा खतरा है. इसके खतरों के प्रति आगाह करने और उससे बचाव के प्रति लोगों में जागरूकता कायम करने के मकसद से दुनियाभर में 17 नवंबर को ‘वर्ल्ड प्रीमेच्योरिटी डे' का आयोजन किया जाता है. इस मौके पर आज के...
More »डॉक्टर ने नहीं लिया 500 का पुराना नोट, इलाज न मिलने से नवजात की मौत
मुंबई के गोवंडी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर किसी का भी सिर शर्म से झुक जाएगा। यहां एक प्राइवेट नर्सिंग होम की डॉक्टर ने नवजात शिशु का इलाज करने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि उसके माता-पिता के पास 500 के पुराने नोट थे। इलाज न मिलने के चलते बच्चे की हालत बिगड़ गई और इससे पहले उसे किसी और अस्पताल ले जाया जाता...
More »भारत में विकसित नयी वैक्सीन की दुनियाभर में सराहना..
रोटावायरस डायरिया भारत सहित कई देशों में नवजात शिशुओं और बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण है. भारत में हर साल करीब नौ लाख बच्चों को इसके कारण अस्पतालों में भर्ती करना पड़ता है, जिनमें से 80 हजार से एक लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है. लेकिन, इससे बचाव की विदेशी दवाएं इतनी महंगी थीं कि हर किसी के लिए उसका सेवन करना आसान न था....
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