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यूनियन कार्बाइड से लेकर फेसबुक और ब्लूम्सबरी तक सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपनाती हैं दोहरा मानदंड

-कारवां, क्या भोपाल गैस त्रासदी के वक्त यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन सीईओ वारेन एंडरसन, फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और ब्लूम्सबरी के सीईओ नाइजिल न्यूटन के बीच कोई समानता है? उनमें एक समानता उनका यह विश्वास है कि उन्हें भारत में कारोबार करते हुए उन मानकों का पालन नहीं करना होगा जो वे पश्चिमी लोकतंत्र में कारोबार करते समय अपनाते हैं. इन लोगों को विश्वास है कि मुनाफे के लिए वे भूतपूर्व...

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भारत और चीन के विवाद का कारोबार पर कितना असर पड़ा?

-बीबीसी, भारत और चीन के बीच बिगड़ते रिश्ते इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पिछले कुछ सालों में भले ही दोनों देशों में गर्मजोशी दिखी, लेकिन उनके बीच कुछ मूलभूत विवाद अभी भी बने हुए हैं. ऐसे में दोनों देशों के आपसी रिश्तों के भविष्य को लेकर भारत की विदेश नीति की भूमिका काफ़ी अहम हो जाती है. भारत की पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव कहती हैं कि "पिछले 45...

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कैसे कोरोना वायरस ने यूरोपीय देशों को भी राष्ट्रवाद का झंडा पकड़ा दिया है

-सत्याग्रह, यूरोपीय संघ का विशेष कोरोना शिखर सम्मेलन इसके ब्रसेल्स स्थित मुख्यालय में शुक्रवार 17 जुलाई को शुरू हुआ था. अगले ही दिन उसे समाप्त हो जाना था. पर चला दो के बदले पांच दिन. पूरे 90 घंटे. संघ के 27 सदस्य देशों के राष्ट्रपतियों-प्रधानमंत्रियों के बीच राष्ट्रीय स्वार्थों का टकराव ऐसा था कि तीन दिनों तक गतिरोध बना रहा. यहां तक कि उनके बीच अच्छी-ख़ासी गर्मा-गर्मी भी रही. कई बार लगा...

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चीन के सम्पूर्ण बहिष्कार का नारा देने वाले चीन न बन पाने के दुःख से क्यों भरे हुए हैं?

-सत्यहिंदी, आज जो चीन के सम्पूर्ण बहिष्कार का नारा दे रहे हैं, वे कल तक अफ़सोस कर रहे थे कि चीन ने विकास की जो ऊँचाइयाँ हासिल कर ली हैं, हम उनके क़रीब भी क्यों नहीं पहुँच पाए हैं। कल तक ही क्यों वे आज भी चीन न बन पाने के दुःख से भरे हुए हैं। भारत सरकार की आलोचना करनेवाले हमवतन लोगों को ही वे धमकी देते हैं कि काश...

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अब चीन, पाकिस्तान और भारत का भी भला इसी में है कि वो उस फैंटसी को छोड़ दें जिसे मोदी विस्तारवाद कहते हैं

-द प्रिंट, शुक्रवार की सुबह अचानक लद्दाख पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सेना को संबोधित किया और चीनियों का सीधे-सीधे नाम न लेते हुए कहा कि विस्तारवाद का जमाना गया, यह विकास का युग है. वैसे, उन्होंने यह कयास लगाने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी कि उनका निशाना किधर था. बेशक उनके निशाने पर चीन ही था लेकिन इस वाक्य को उन ज्ञानोपदेशों में शामिल किया जा सकता है, जो...

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