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अपनी बंदूक से पैटन टैंकों को ध्वस्त करने वाला गाज़ीपुर का परमवीर शहीद अब्दुल हमीद

-जनपथ, वीर अब्दुल हमीद का नाम लेते ही आज भी भारतवासियों का सीना गर्व से ऊंचा हो जाता है। उनकी वीरता की कहानियां लोगों की ज़ुबान पर आ जाती हैं। 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध में अद्भुत साहस दिखाते हुए दुश्‍मनों के कई शक्तिशाली अमेरिकन पैटन टैंकों को ध्‍वस्त कर अब्‍दुल हमीद वीरगति को प्राप्त हो गये। अब्दुल हमीद के जन्मदिवस पर उनका हम सब नमन करते हैं। अब्दुल हमीद भारतीय सेना...

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झारखंड की पहली आदिवासी लड़की कैसे पहुंची कुश्ती की विश्व चैंपियनशिप में?

-गांव कनेक्शन,  आदिवासी बाहुल झारखंड के खेल इतिहास में चंचला कुमारी पाहन ने अपना नाम ऐतिहासिक रूप से दर्ज करा लिया है। वह राज्य की पहली खिलाड़ी है जो कुश्ती की विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जा रही है। गरीब आदिवासी परिवार की यह लड़की महज साढ़े 14 साल की है। रांची जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर हटवाल गांव में बीते 22 जून से लोगों के आने-जाने का तांता लगा...

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लक्षद्वीप : स्वर्ग-दोहन का लालच

-आउटलुक, “देश के सबसे छोटे केंद्र शासित सुरम्य द्वीप समूह में विकास के नाम पर पर्यावरण की बर्बादी का दु:स्वप्न” आसमान से देखने पर द्वीपों का यह समूह नारियल के घने पेड़ों से आच्छादित सीपों की लड़ी की तरह नजर आता है। यहां 36 द्वीप हैं। सबसे बड़ा पांच वर्ग किलोमीटर का है और सबसे लंबा द्वीप एक छोर से दूसरी छोर तक 10 किलोमीटर है। एक द्वीप भारत के एकमात्र प्रवाल...

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वे दस गलत नीतियां जो मोदी सरकार के सात साल को परिभाषित करती हैं

-जनपथ, मोदी सरकार ने सात साल पूरे कर लिए हैं। किसी भी समाज, देश या व्यक्ति के मूल्यांकन के लिए सात वर्ष पर्याप्त होते हैं। सात साल में ऐसी दस महत्वपूर्ण गलतियाँ थीं, जो निस्संदेह मोदी सरकार को परिभाषित करेंगी। विमुद्रीकरण: यह किसी भी सूची में सबसे ऊपर होगा क्योंकि इसकी सफलता की कमी और व्यापक तबाही ने अर्थव्यवस्था पर इसका असर डाला। विदेशों में बिजनेस स्कूलों में अब एक चेतावनी के रूप...

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कोरोना : ‘Restore Earth’ की नकली कोशिशें हमें यह समझने नहीं देती कि ऑक्सीजन लेवल क्या होता है

-द प्रिंट, मुफ्त की एक कीमत होती है जो समय पर ना चुकाई जाए तो उसका ब्याज सांसें चुकाती हैं. इसी तरह प्रकृति शोषण आधारित इमारतों का एक सीटूसी यानी कास्ट टू कंट्री होता जो पीढ़ियों को चुकाना होता है. बानगी देखिए हलांकि नारों में डूबा समाज इस उदाहरण को एक व्हाट्स्एप जोक से ज्यादा अहमियत नहीं देता– सुप्रीम कोर्ट की एक आकलन कमेटी ने एक पेड़ की सालाना कीमत 74,500...

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