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न्यूज क्लिपिंग्स् | लक्षद्वीप : स्वर्ग-दोहन का लालच

लक्षद्वीप : स्वर्ग-दोहन का लालच

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published Published on Jun 16, 2021   modified Modified on Jun 18, 2021

-आउटलुक,

“देश के सबसे छोटे केंद्र शासित सुरम्य द्वीप समूह में विकास के नाम पर पर्यावरण की बर्बादी का दु:स्वप्न”

आसमान से देखने पर द्वीपों का यह समूह नारियल के घने पेड़ों से आच्छादित सीपों की लड़ी की तरह नजर आता है। यहां 36 द्वीप हैं। सबसे बड़ा पांच वर्ग किलोमीटर का है और सबसे लंबा द्वीप एक छोर से दूसरी छोर तक 10 किलोमीटर है। एक द्वीप भारत के एकमात्र प्रवाल द्वीप के पूर्वी किनारे पर है। बाकी सब लैगून हैं। शांत, स्वच्छ और खूबसूरत। लेकिन इस स्वर्ग को मानो बुरी नजर लग गई, यहां प्राकृतिक संपदा के दोहन और पर्यटकों की आमद बढ़ाने का एजेंडा भूचाल पैदा कर रहा है। यह तथाकथित विकास और उसके साथ कुछ और एजेंडा पिछले दिसंबर में केंद्र की तरफ से नियुक्त प्रशासक और गुजरात के नेता प्रफुल्ल खेड़ा पटेल लेकर आए, जो अपने राज्य में गृह मंत्री भी रह चुके हैं।

नए प्रशासक के प्रस्ताव काफी चौंकाने वाले हैं। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग, मुख्य मार्ग, रिंग रोड, रेलवे, ट्राम, एयरपोर्ट, नहरें बनाने की बात कही है, जहां सबसे लंबी सड़क ही मात्र 10 किमी की है। इन सबके निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण भी किया जा सकता है। दूसरा मजाक लक्षद्वीप को मालदीव की तरह पर्यटन स्थल बनाने का प्रस्ताव है। मालदीव में 300 द्वीप हैं जिनमें से करीब 100 पर पर्यटक जाते हैं। लेकिन लक्षद्वीप की तुलना मालदीव से नहीं हो सकती। यहां जितने पर्यटक अभी आते हैं, उससे अधिक की क्षमता नहीं है। और फिर सैकड़ों मील समुद्र को पार कर कौन यहां उस हाइवे पर चलने आएगा, जिसकी कोई मंजिल नहीं? या फिर ट्राम में सफर का आनंद लेने कौन आएगा? इसके बाद प्रशासक के प्रस्ताव खतरनाक हो जाते हैं। गो हत्या पर 10 साल की जेल। यहां लोग बीफ खाते हैं लेकिन प्रस्ताव के पीछे छिपे एजेंडे को समझना मुश्किल नहीं। बंगरम द्वीप के अलावा बाकी जगहों पर मद्यनिषेध है, लेकिन नया प्रस्ताव बाकी द्वीपों पर भी मद्यनिषेध खत्म करने का है। कहने को पर्यटन बढ़ाने के नाम पर ऐसा किया जा रहा है, लेकिन उसका एजेंडा भी साफ है। मद्यनिषेध से गुजरात में पर्यटकों का आना बंद नहीं हुआ तो यहां की मुस्लिम आबादी की इच्छा के खिलाफ मद्यनिषेध क्यों खत्म किया जा रहा है।

जहां कोई गुंडा नहीं, वहां गुंडा कानून लाने का प्रस्ताव है। इससे किसी को भी हिरासत में लेने का अधिकार मिल जाएगा। जाहिर है, उसका इस्तेमाल मनमाना होगा। आतंकवाद को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, खासकर श्रीलंका से आ रहे तथाकथित सशस्त्र आतंकवादियों के पकड़े जाने के बाद। स्थानीय लोगों के लिए बेहद क्रूर फैसले किए जा रहे हैं। क्वारंटीन की जरूरत खत्म करके कोविड-19 महामारी को दावत दी जा रही है। मछुआरों की वे  झोपड़ियां गिराई जा रही हैं, जिनकी जरूरत उन्हें काम के दौरान पड़ती है। स्थानीय लोगों का अपना घर, अपनी जमीन, और जीवनशैली खोने का डर वास्तविक है।

मद्यनिषेध से गुजरात में पर्यटकों का आना बंद नहीं हुआ तो यहां की मुस्लिम आबादी की इच्छा के खिलाफ मद्यनिषेध क्यों खत्म किया जा रहा है

द्वीप समूह के रहवासियों, देश और इस धरती के भले के लिए किसी भी सरकार का पहला कर्तव्य इन द्वीपों के नाजुक पर्यावरण, उसकी खूबसूरती और यहां के प्यारे लोगों की जीवनशैली को संरक्षित करना है। यहां समुद्र का हल्का नीला-हरा रंग, अरब सागर के गहरे नीले रंग से बिल्कुल अलग दिखता है। इन सब लैगून और प्रवाल द्वीप में चमकीली आकर्षक मछलियां हैं। यहां के लोग नारियल के ऊंचे पेड़ों की छांव में छोटे-छोटे घरों में रहते हैं। इस छोटे से स्वर्ग की सड़कें भी संकरी लेकिन कंक्रीट की बनी हैं। मुख्य सड़क की चौड़ाई बस इतनी है कि एक गाड़ी जा सकती है। इन द्वीपों में सिर्फ 10 रहने योग्य हैं, और करीब 65,000 लोग वहां घुलमिल कर रहते हैं। जाहिर है, आबादी घनी है, लेकिन आबादी बढ़ने की दर लगातार घट रही है। यहां कोई भूखा नहीं रहता और स्वास्थ्य सेवाएं भी अच्छी हैं। पर्यटन के लिहाज से यह कोई आकर्षक जगह नहीं। पर्यटन सुविधाएं तीन द्वीपों तक ही सीमित हैं। बंगरम द्वीप वैसे तो पानी की कमी के कारण रहने के काबिल नहीं, लेकिन यहां रहने के लिए एक खूबसूरत छोटा रिजॉर्ट बनाया गया है।

यहां के लोगों का केरल के साथ गहरा संबंध है और वे मलयाली भाषा बोलते हैं। सिर्फ मिनिकॉय में मालदीव की भाषा दिवेही बोली जाती है। ज्यादातर लोग मुसलमान हैं। कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद के सहाबा अबू बकर के एक संबंधी शेख ओबैदुल्ला सातवीं सदी में यहां इस्लाम लेकर आए। मैंने यहां से अधिक शांत जगह और कहीं नहीं देखी। पुलिस की वेबसाइट के अनुसार यहां अपराध की दर भारत में सबसे कम है। मछली पकड़ना और नारियल की खेती करना यहां जीवन-यापन के पारंपरिक साधन हैं। लेकिन लोग पढ़े-लिखे हैं। साक्षरता दर 93 फीसदी है। हर द्वीप पर अच्छे स्कूल हैं। चार कॉलेज भी हैं। युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश की मुख्य भूमि पर काम करने जाते हैं। यहां परिवहन व्यवस्था बेहतर हुई है। लोगों को लाने-ले जाने के लिए अनेक जहाज चलते हैं। अगत्ती द्वीप से उड़ानें भी हैं। इसके अलावा हेलीकॉप्टर सेवा भी है। इन सबके शुरू होने से पहले सदियों से यहां देश की मुख्य भूमि से लोग नाव के जरिए आते-जाते थे। यहां के लोग केरल पर निर्भर ही नहीं, बल्कि केरल से ही अपनी पहचान मानते हैं। इसीलिए केरल विधानसभा में शायद प्रशासक के नए एजेंडे के खिलाफ प्रस्ताव भी पास हुआ।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


जगदीश सागर, https://www.outlookhindi.com/view/destruction-of-environment-in-the-name-of-development-in-the-countrys-smallest-union-territory-lakshadweep-59081


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