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देश के न्यायिक इतिहास में राम जेठमलानी को कैसे याद किया जाएगा?

-सत्याग्रह, बात 2009 की है. मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखी गई एक किताब का विमोचन होना था. यह किताब भाजपा नेता जसवंत सिंह ने लिखी थी. देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां इस समारोह में उपस्थित थीं. प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी भी इनमें से एक थे. उन्होंने इस समारोह में कहा, ‘भारत-पाकिस्तान विभाजन का मुख्य कारण मोहम्मद अली जिन्ना नहीं बल्कि हरिचन्द्र नाम का एक कंजूस हिन्दू था.’ जेठमलानी के इस बयान...

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हिंदी पट्टी का रक्त-चरित्र; पिछले चार दशकों में ऐसे पनपी बाहुबली संस्कृति

-आउटलुक, “हिंदी प्रदेशों और खासकर सियासी तौर पर सबसे अहम उत्तर प्रदेश के सामाजिक-राजनैतिक तानेबाने में पिरोयी गैंगस्टर और बाहुबली संस्कृति पिछले चार दशकों में राजनीति के तौर-तरीकों का नतीजा” यकीनन अपने रंग-ढंग और सामाजिक परिस्थितियों में पुराने दौर के बागी डकैतों और आज के गैंगस्टर या डॉन वगैरह का चाल, चरित्र सब कुछ एकदम अलग है। लेकिन दोनों की जुबान पर आज भी वही गर्व से फबता है, जो सबसे लोकप्रिय...

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कोविड-19 : 70 रुपए की दवा मिल रही 40 हजार में, मजबूरों को लूट रहीं सरकार और फार्मा कंपनी?

-कारवां,  जिस तेजी के साथ कोरोनावायरस महामारी देश के कोने-कोने फैलती जा रही है उसे देखते हुए कह सकते हैं कि अगले कुछ हफ्तों में भारत को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. अप्रैल और मई में नरेन्द्र मोदी सरकार की परीक्षण पर प्रतिबंधित की नीति ने महामारी को बढ़ा दिया है और जुलाई आते-आते देश के अस्पतालों को इसका सबसे बुरा प्रकोप झेलना पड़ रहा है. जून में कोरोनोवायरस...

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बिहार में पीडीएस का हाल, मांगा अनाज, मिली जेल

-बीबीसी,  बीती 7 जून को बिहार के अरवल के अनुमंडल कार्यालय में राशन कार्ड बनाने और उसका सत्यापन करवाने के लिए भीड़ उमड़ी थी. हज़ारों की इस भीड़ के लिए सरकारी 'सोशल डिस्टैंसिंग' की बात बेमानी थी. राशन कार्ड के लिए लाइन में सबा परवीन भी खड़ी थी. इस कोरोना कॉल में उनके लिए सरकारी खाद्यान्न सहायता अब जीने-मरने का सवाल बन चुकी है. जीने-मरने का ये सवाल सिर्फ़ अरवल जिले के लोगों के...

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किसान हित या खेती का कॉरपोरेटाइजेशन

-आउटलुक, केंद्र सरकार ने हाल में किसानों के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए आर्थिक उदारीकरण की दिशा में तीन बड़े सुधार किए हैं। इनमें दो सुधारों के लिए पांच जून को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी किए, क्योंकि इन फैसलों को कानूनी शक्ल देने के लिए सरकार संसद के सत्र का इंतजार नहीं करना चाहती थी। ये अध्यादेश हैं फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड ऐंड कॉमर्स (प्रमोशन ऐंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस, 2020 और फार्मर्स (एम्पावरमेंट...

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