बीसवीं सदी के किसान नेता दीनबंधु चौधरी छोटू राम ने किसान को कहा था: 'ए भोले किसान, मेरी दो बात मान लें- एक बोलना सीख और एक दुश्मन को पहचान ले'. लगता है सौ साल बाद भारत के किसान ने उनकी बात सुन ली है. आज देशभर से 200 से अधिक किसान संगठन 'किसान मुक्ति मार्च' लेकर दिल्ली पहुंच रहे हैं. इस मार्च के जरिये किसान बोलना सीख रहे हैं....
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ईशनिंदा को अब अलविदा!- सुभाष गताडे
इंडोनेशिया की चीनी मूल की बौद्ध महिला मैलाना (उम्र 44 साल) को बहुत कम लोग जानते होंगे. कुछ माह पहले ही वह इंडोनेशिया के अखबारों में सूर्खियों में रही, जब वहां के विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत उसे दो माह की सजा सुनायी गयी. सुमात्रा द्वीप की रहनेवाली इस महिला का ‘जुर्म' इतना ही था कि उसने अपने स्थानीय मस्जिद से दी जा रही अजान की तेज आवाज के बारे...
More »बौद्धिक स्वतंत्रता और राष्ट्रहित- मणींद्र नाथ ठाकुर
ऐसा क्या हो गया है कि भारत के बुद्धिजीवियों को राष्ट्रविरोधी होने का खिताब मिल रहा है? क्या स्वतंत्र चिंतन, सरकारी नीतियों की आलोचना राष्ट्रहित में नहीं है? आखिर उन्हें क्यों लगता है कि व्यवस्था गरीबों के हित में नहीं है? और यदि यह सही है, तो फिर व्यवस्था को ठीक करने का क्या उपाय किया जा सकता है? क्या यह भारतीय बुद्धिजीवियों का दायित्व नहीं है कि वे...
More »पुलिस सुधार का असली मकसद- विभूति नारायण राय
लखनऊ में बीते दिनों विवेक तिवारी की हत्या क्या एक बड़े प्रदेश में अपवाद स्वरूप कभी-कभार होने वाली असाधारण, किंतु जिसकी वजह से बहुत अधिक परेशान न हुआ जाए, ऐसी घटना थी? ऐसा तो नहीं कि यह शरीर में बहुत दिनों से पक रहा कोई ऐसा फोड़ा था, जो बीच-बीच में फूटता था, लेकिन हम उसे थोड़ा-बहुत पोंछ-पांछकर खुद को साफ-सुथरा महसूस करने लगते थे। पर इस बार तो यह...
More »सरकार संसद में पहले भी सुरक्षित थी
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया. सरकार संसद में पहले भी सुरक्षित थी, अब और भी आश्वस्त हो गयी. विपक्ष भी सरकार पर कुछ छींटाकशी कर खुश हो गया. गले से कहने में जो कसर रह गयी, वह गले लगकर पूरी की गयी. सत्ताधारी मोर्चे में कुछ टूट-फूट होने से विपक्ष भी आश्वस्त है. मीडिया को भी मसाला मिल गया- मोदी जी और राहुल गांधी के गले पड़ने की फोटो...
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