वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र संगठन ने विश्व स्तर पर मानवाधिकारों की व्याख्या करते हुए विश्वयुद्धों से घायल दुनिया को 10 दिसंबर के दिन सालाना मानवाधिकार दिवस मनाने का संदेश दिया था। उस व्याख्या का मसौदा बाइबिल के बाद दुनिया का सबसे अधिक अनूदित दस्तावेज बताया जाता है। लेकिन मानवाधिकार दिवसों की छह दशक से लंबी श्रंखला और उस पर तमाम गहन चिंतन-मनन के बाद भी दुनिया में मानवाधिकारों की,...
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राजस्थान में गरीब सवर्णों को आरक्षण के लिए विधेयक पारित
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को हंगामे के बीच बिना बहस के चार विधेयक पारित कर दिए गए। गुर्जर सहित चार जातियों को पांच फीसद आरक्षण के लिए विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) आरक्षण विधेयक पारित कर दिया गया। वहीं गरीब सवर्णों को 14 फीसद आरक्षण देने के लिए आर्थिक पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) आरक्षण विधेयक भी बिना बहस के पारित कर दिया गया। एसबीसी और ईबीसी के आरक्षण को संविधान की नौवीं...
More »मनरेगा से दूर हो रही है गरीबी-- नई रिपोर्ट
मनरेगा केंद्रित एक नये अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने वाले इस कार्यक्रम से गरीबी के निवारण में मदद मिली है. नेशनल काऊंसिल ऑफ अप्लॉयड रिसर्च और यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2004-05 से 2011-12 के बीच मनरेगा के कारण इसमें काम पाने वाले लोगों के बीच 32 प्रतिशत गरीबी घटी है. (देखें सबसे नीचे दी गई...
More »हम जाति का ज़हर फिर क्यों पिएं?- वेद प्रताप वैदिक
मुझे आश्चर्य है कि भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल ने ऐसा राष्ट्र-विरोधी निर्णय कैसे कर लिया? जातीय जनगणना को कांग्रेस सरकार ने अधबीच में बंद कर दिया था, लेकिन इस गणना के जो भी अधकचरे आंकड़े इकट्ठे हुए हैं, सरकार उन्हें प्रकट करने के लिए तैयार हो गई है। वह इन्हें अगले साल तक प्रकाशित करेगी। तब तक राज्य-सरकारों की रपट भी उसके पास आ जाएगी और जो आंकड़े उसके पास...
More »जाति के आंकड़ों से डरने वाले- योगेन्द्र यादव
जाति का भूत देखते ही अच्छे-अच्छों की मति मारी जाती है। या तो लोग बिल्ली के सामने आंख मूंदे कबूतर की तरह हो जाते हैं, और यह खुशफहमी पालने लगते हैं कि जाति है ही नहीं। या फिर उनकी गति सावन के अंधे की तरह हो जाती है, और उन्हें हर बात में जाति ही जाति नजर आने लगती है। सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक-जाति जनगणना के जाति संबंधी आंकड़े सार्वजनिक न करने...
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