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ईआईए अधिसूचना का मसौदा किस प्रकार से आदिवासियों और वनवासी समुदायों के अधिकारों से समझौता करना है

-न्यूजक्लिक, जहां एक ओर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के मसौदा दस्तावेज की आलोचना व्यापार को आसान बनाने के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिशों की खातिर की जा रही है, वहीं इन नए प्रावधानों के चलते समाज के कुछ तबकों को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। और वे तबके हैं जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी समुदाय के लोग। नई अधिसूचना...

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बिहार बाढ़: 8 जिलों के 2 लाख 88 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित

-वाटर पोर्टल, कमोबेश हर साल बिहार में तबाही मचाने वाली बाढ़ इस साल भी दस्तक दे चुकी है। अब तक बिहार के 8 जिलों; सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर. गोपालगंज और पूर्वी चम्पारण के 30 ब्लॉक की 150 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “अब तक के आकलन के मुताबिक 2 लाख 88 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हुए...

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फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

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राजनीति से प्रेरित है दिल्ली हिंसा की पुलिस जांच : अपूर्वानंद

-कारवां, अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर होने के साथ एक मानव अधिकार कार्यकर्ता भी हैं. उन्होंने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार के तहत हिंदुत्व के उभार पर बेबाकी से लिखा और बोला है. पिछले साल दिसंबर में जब नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजिका के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे थे तो अपूर्वानंद ने इस कानून के खिलाफ निरंतर आवाज उठाई. साथ ही वह...

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राशन की व्यवस्था सुधरी, लेकिन मनरेगा रोज़गार अभी भी हर गाँव तक नहीं पहुंचा - भोजन का अधिकार अभियान सर्वेक्षण

-भोजन का अधिकार अभियान, झारखण्ड, मई 2020 के दुसरे और तीसरे सप्ताह के दौरान भोजन के अधिकार अभियान, झारखंड के सदस्यों ने राज्य के मूल जन सुविधाओं (जैसे राशन दुकान, मनरेगा, दाल-भात केंद्र, सामुदायिक रसोई, बैंक आदि) की स्थिति का दूसरा सर्वेक्षण किया; 22 ज़िलों के 46 प्रखंड से प्रेक्षकों ने फ़ोन के माध्यम से अपने क्षेत्र की जानकारी दी. पिछले माह अप्रैल के पहले सप्ताह में 19 जिलों के 50 प्रखंडों में जन सुविधाओं का पहला सर्वेक्षण किया गया था.सर्वेक्षण में पाए गए तथ्यों का...

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