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पशुप्रेम पर साझा सोच जरूरी-- पवन के वर्मा

हाल में पशुओं की संख्या कम करने के लिए उन्हें मारे जाने के सवाल पर मैं एक टीवी चैनल के पैनल डिस्कशन में शामिल था. पशुओं के हक के लिए मुखर रहनेवाली मेनका गांधी ने पशुओं को मारने की छूट देने को लेकर कैबिनेट साथी पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाया था. जावेड़कर ने कुछ राज्य सरकारों को ऐसे पशुओं को एक खास समयावधि तक मारने की...

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किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं

लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...

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देश में धान की 42 नई किस्में, छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों को फायदा

रायपुर (निप्र)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को '51वीं वार्षिक धान अनुसंधान समूह बैठक' का समापन हुआ। इससे पहले तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के सैकड़ों धान अनुसंधान वैज्ञानिकों ने धान की पैदावर बढ़ाने, सुंगधित, जैविक खाद की बढ़ोतरी और पोषकता की मात्रा को बढ़ाए जाने व कम पानी से धान की खेती संबंधित अनेक विषयों पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले साल समूह...

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महाराष्ट्र में 45 दिन में 124 किसानों ने आत्महत्या की

मुंबई। इस साल जनवरी से अब तक महाराष्ट्र में 124 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। राज्य सरकार ने यह जानकारी बॉम्बे हाई कोर्ट को मंगलवार को दी। सरकारी वकील ने डिविजन बेंच को बताया कि इसमें से 20 आत्महत्याएं उस्मानाबाद में ही हुई हैं। हाई कोर्ट ने किसानों की आत्महत्या की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि किसानों को आत्महत्या से बचाने के लिए...

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दुनिया में गुस्से और गैरबराबरी का नाता - एनके सिंह

दुनिया के मात्र 62 लोगों के पास विश्व के आधे लोगों की कुल संपत्ति से ज्यादा धन है। जाहिर है कि प्रकारांतर से जितना 62 लोगों के पास है, उतना शेष 350 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति भी नहीं है। कहा तो गया था कि यह आर्थिक सुधार है, पर इन 20 सालों में फायदा मिला अमीरों को। तीन जानी-मानी आर्थिक आकलन संस्थाओं ने एक ही निष्कर्ष निकाला है कि...

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