-न्यूजक्लिक, यूनिसेफ के नए विश्लेषण से संकेत मिलता है कि बच्चों और किशोरों में मानसिक विकारों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना लगभग 390 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है। पिछले सप्ताह यूनिसेफ ने अपनी एक महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट सार्वजनिक की। रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में बच्चों और किशोरों की एक बड़ी आबादी का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया है, जिसका प्रभाव आगामी कई वर्षों...
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पीएमजेएवाई का सच: “महंगा साबित हो रहा है बीमा-आधारित हमारा मॉडल”
-डाउन टू अर्थ, इस महामारी से उपजे भारी तनाव ने दुनियाभर में स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है। तमाम देशों ने अपनी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए तमाम तरीके अपनाए हैं। औद्योगीकृत पश्चिमी देश बड़े पैमाने पर संकट से निपटने के लिए उपचारात्मक कदमों पर निर्भर हैं, जिसकी वजह से रोग निवारक सेवा के लिए कुछ खास जगह नहीं बचती। विकासशील देशों में प्राथमिक स्वास्थ्य...
More »समावेशी कृषि हो 2022 के लिए विकास का रोडमैप
-रूरल वॉइस, अब देश के नीति निर्माताओं को अभी की जरूरत, वर्तमान संकट का उपाय जैसे शब्दों को नकार कर देश की समस्याओं के लिए स्थायी समाधान तलाशने होंगे। भ्रष्टाचार, निरक्षरता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घटता भूजल स्तर, वायु प्रदूषण, ठोस अवशेष, महिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी, कृषि संकट, बाढ़, सुखाड़, लंबित न्याय, सकल घरेलू उत्पाद आदि मुद्दे आज देश के सामने हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर हल...
More »भारत में कुपोषण का संकट और गहराया, देशभर में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित
-न्यूजलॉन्ड्री, कुपोषण भारत की गम्भीरतम समस्याओं में एक है फिर भी इस समस्या पर सबसे कम ध्यान दिया गया है. आज भारत में दुनिया के सबसे अधिक अविकसित (4.66 करोड़) और कमजोर (2.55 करोड़) बच्चे मौजूद हैं. इसकी वजह से देश पर बीमारियों का बोझ बहुत ज्यादा है, हालांकि राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़े बताते है कि देश में कुपोषण की दर घटी है लेकिन न्यूनतम आमदनी वर्ग वाले परिवारों...
More »आत्महत्याओं पर एनसीआरबी डेटा को सावधानी के साथ समझना
पिछले वर्षों की तुलना में 2020 के दौरान भारत में आत्महत्याओं की कुल संख्या में वृद्धि हाल ही में सुर्खियों में रही है. जबकि कुछ मीडिया टिप्पणीकारों ने कहा है कि 2020 में आर्थिक संकट (नौकरी छूटने, आय में कमी, व्यवसाय में विफलता और बढ़ती भूख, अन्य कारणों के अलावा) के कारण अधिक आत्महत्याएं हो सकती हैं, अन्य ने कहा है कि घर में अलगाव और बिगड़ती मानसिक स्वास्थ्य स्थिति...
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