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भगवान के घर में भेदभाव क्यों? - अद्वैता काला

शनि शिंगणापुर मंदिर या हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा इन दिनों गरमा-गरम बहस का विषय बना हुआ है। इन दोनों मामलों के संदर्भ में पूजा या धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार को तार्किक आयाम देना बहुत ही आसान है। इस बहस का अंत जाने-अनजाने देश में पहचान की राजनीति पर ही खत्म होगा, जो कि हमारे सार्वजनिक विमर्श के केंद्र में है। धु्रवीकरण...

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मानवाधिकारों पर चंद खरी बातें - मृणाल पांडे

वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र संगठन ने विश्व स्तर पर मानवाधिकारों की व्याख्या करते हुए विश्वयुद्धों से घायल दुनिया को 10 दिसंबर के दिन सालाना मानवाधिकार दिवस मनाने का संदेश दिया था। उस व्याख्या का मसौदा बाइबिल के बाद दुनिया का सबसे अधिक अनूदित दस्तावेज बताया जाता है। लेकिन मानवाधिकार दिवसों की छह दशक से लंबी श्रंखला और उस पर तमाम गहन चिंतन-मनन के बाद भी दुनिया में मानवाधिकारों की,...

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इन्क्लूसिव मीडिया-यूएनडीपी फेलोशिप : परिणाम घोषित!

  इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फेलोशिप 2015 के लिए हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के सात पत्रकारों का चयन किया गया है. ये पत्रकार दिल्ली, चंडीगढ़, झारखंड, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के हैं. चयनित पत्रकार अपने दैनंदिन के पत्रकारीय कामों से छुट्टी लेकर हाशिए के समुदायों के बीच कुछ समय बितायेंगे और इन समुदायों की चिन्ता और सरोकारों को रेखांकित करने के प्रयास करेंगे जिन्हें व्यापक कवरेज और लोगों की नजर...

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परंपरा और आधुनिक गणराज्य की खिचड़ी- एडवर्ड ए रॉड्रिग्ज, दिलीप मंडल

हरियाणा के सुनपेड़ की घटना के बाद केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने जो बयान दिया था, उसे लेकर गुबार अब थम चुका है। इस घटना को लेकर अब तमाम तरह की व्याख्याएं भी आ रही हैं। लेकिन जिस समय यह बयान दिया गया था, उस समय इस घटना की एक ही कहानी थी और वह बेहद दर्दनाक है। पुलिस में दर्ज एफआइआर के मुताबिक एक दलित परिवार के घर...

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इनाम और ओहदे लौटाने से क्या होगा? - विष्‍णु खरे

1954-55 में जब भारत सरकार ने साहित्य अकादेमी की स्थापना की थी तब देश में कांग्रेस का शासन था। उसके संस्थापक-पितरों में जवाहरलाल नेहरू, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ. जाकिर हुसैन जैसे राजनीतिक-सांस्कृतिक युगनिर्माता थे। बाद में कभी इंदिरा गांधी भी अकादेमी की सदस्य रहीं, जब वे केंद्रीय सूचना तथा प्रसारण मंत्री थीं। अकादेमी के संस्थापक-सचिव कृष्ण कृपालाणी थे, जो रबींद्रनाथ ठाकुर की एकमात्र संतान नंदिता के...

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