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5 साल में किसानों की आमदनी दुगुना, विकास का कसीनो मॉडल तो नहीं

बजट 2016 में केंद्र सरकार ने गांव और किसानों को तवज्जो दी गयी है इसके विषय में कई बाते कहीं जा रही है। कोई इसे ग्राम देवता का बजट बता रहा है तो ​कोई किसान देवता का। लेकिन विशेषज्ञ सरकार के गांवो में प्रति समर्पित बजट के सवाल पर बंटे हुए हैं। योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजित सेन कहते हैं कि वित्त मंत्री अरूण जेटली को अपने बजट मे...

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घाटे के अर्थशास्त्र पर ई-कॉमर्स- राजीव रंजन झा

भारत में ई-कॉमर्स का कारोबार काफी तेजी से फैलने लगा है, इसमें कोई संदेह नहीं है. ई-कॉमर्स यानी इंटरनेट की मदद से व्यापार चलाना. पहले यह काम कंप्यूटर-लैपटॉप के जरिये इंटरनेट पर हो रहा था, अब मोबाइल पर भी एप्प के जरिये होने लगा है. इस क्षेत्र में भारतीय सफलता की सबसे बड़ी कहानियां फ्लिपकार्ट और स्नैपडील की रही हैं. हाल में पेटीएम ने भी खुद को बड़ी तेजी से...

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इंडिया नहीं, भारत का बजट-- अनुपम त्रिवेदी

मोदी सरकार के तीसरे बजट पर मध्यम-वर्ग की प्रतिक्रिया तीखी रही है. न आयकर छूट की सीमा में बढ़ोत्तरी हुई, न बढ़ते दामों से राहत मिली, बल्कि सेवाकर में बढ़ोत्तरी ने एनडीए सरकार के सबसे बड़े समर्थक मिडिल क्लास को जैसे विपक्षी दलों के साथ ले जाकर खड़ा कर दिया है. महंगी कारें, महंगा सोना, महंगे होटल और कर्मचारी भविष्य निधि (इपीएफ) की निकासी पर लगाये गये कर से चमकती...

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जरूरी है किसानों की आय बढ़ाना --- देविन्दर शर्मा

भारत के 17 राज्यों में खेती से एक किसान की औसत आय 20 हजार रुपये सालाना है. इसमें उत्पादन का वह अंश भी शामिल है जिसे वह पारिवारिक उपभोग के लिए रखता है. दूसरे शब्दों में, इन राज्यों में किसान की औसत मासिक आय महज 1,666 रुपये है. जी हां, आपने सही पढ़ा. महज 1,666 रुपये. इस तस्वीर में आप खुद को रख कर देखें. अगर आप किसान होते और...

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गांव से निकलेगा विकास का हाइवे

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश की है. यह कोशिश सोमवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2016-17 के बजट में दिखती भी है. किसानों से जुड़ी अनेक योजनाओं के लिए सरकार ने अपनी झोली खोल दी है. किसानों का ऋण कम करने के लिए 15 हजार करोड़ का एक कोष बनाने की घोषण एक अच्छी पहल है. पिछले दो-तीन साल से कम...

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