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वैक्सीन, किसान और अल्पसंख्यकों पर फर्जी खबरें: 2021 में कहां व्यस्त रहे भारत के फैक्ट-चेकर्स

-न्यूजलॉन्ड्री, साल 2021 में जो ख़बरें सुर्ख़ियों में रहीं उनमें प्रमुख थीं दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन, भारत में कोविड टीकाकरण, कोविड की विनाशकारी दूसरी लहर और चार राज्यों समेत एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव. वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े से जुड़ी ख़बरें छाई रहीं. यह वर्ष उपरोक्त सभी ख़बरों पर गलत सूचनाओं से भी भरा रहा. फैक्ट-चेकिंग पोर्टल्स ने इस साल कई फर्जी व्हाट्सएप...

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कोरोना के कहर से लेकर कृषि कानूनों की वापसी तक, ऐसा रहा 2021 का सफर

-द प्रिंट, हैरां हूं दिल को रोऊं या पीटू जिगर को मैं!…जी हां, ज्यादातर वक्त हमारी सासें दुश्वार किये रखकर अस्ताचल की ओर जा रहे वर्ष 2021 को जब भी और जैसे भी याद किया जाये, मिर्जा गालिब की यह पंक्ति जरूर याद आयेगी. यह वर्ष आया तो कोरोना की पहली लहर के दिये जख्म हरे थे. भले ही उसका त्रास कम हो गया था, दूसरी लहर के अंदेशे इतने घने थे...

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सरकारी दावे से उलट किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया समेत अन्य खाद

-न्यूजलॉन्ड्री, केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को संसद में यूरिया की कमी को लेकर सात सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया. रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने यूरिया की देश में पर्याप्त मात्रा के सवाल पर कहा, देश में यूरिया की कोई कमी नहीं है. इस दौरान उन्होंने रबी फसल के लिए यूरिया की आवश्यकता, उपलब्धता और बिक्री की भी राज्यवार जानकारी दी. संसद में यूरिया और डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी)...

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ललितपुर: भावनी बांध से प्रभावित किसान बोले," सरकार या तो हमें रास्ता दे या हमारी जमीन खरीद ले"

-गांव कनेक्शन, "देखो वो सामने महुआ का पेड़ दिख रहा हैं वही हमारा खेत हैं उस साढ़े तीन एकड़ के खेत पर पहुँचने के लिए पांच किमी का चक्कर लगाना पड़ता हैं, क्योंकि नाले में बाँध का जो पानी भर आया हैं।" बढईयाँ नाले के उस तरफ दिख रहे खेत की ओर हाथ का इशारा करते हुऐ मुकुंदी प्रजापति (62 वर्ष) कहते हैं। मुकुंदी प्रजापति के गांव के करीब से निकले...

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बाढ़ के बाद खाद की कमी और कालाबाज़ारी से जूझते बिहार के किसान

-इंडियास्पेंड, पौल के बीरपुर प्रखंड में सरकार के विरोध में प्रदर्शन करते किसान। फोटो: अमित चौधरी"धान का सीजन बाढ़ खा गया, अब डीएपी के लिए बाप-बाप कर रहे है। सिर्फ एक दिन गांव में पैक्स वाले के पास डीएपी आया था। भोर में (सुबह) 3.00 बजे से लाइन में लग गए, बावजूद इसके डीएपी और यूरिया नहीं मिला," बिहार के सहरसा जिले के बलवा गांव के सत्तन पासवान अपनी खेती की...

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