‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा-' क्या आप बता सकते हैं कि तीन साल पहले चुनाव-प्रचार के दौरान कही गई इस बात पर कितने लोग विश्वास करते हैं ? इस सवाल का जवाब जानने में आपकी मदद सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज(सीएमएस) का एक अध्ययन कर सकता है. विकास के मुद्दों पर शोध और मीडिया एडवोकेसी की इस संस्था के हालिया अध्ययन सीएमएस-इंडिया करप्शन स्टडीज के मुताबिक लगभग 40 फीसद लोगों का विश्वास है कि मोदी...
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पूर्ण शराबबंदी क्या समस्या का समाधान है --- एस श्रीनिवासन
इस महीने की शुरुआत में द्रमुक सुप्रीमो एम के करुणानिधि का 94वां जन्मदिन मनाया गया। जश्न के लिए तमाम विपक्षी नेता उस दिन चेन्नई में जमा हुए, लेकिन जल्द ही यह जश्न प्रधानमंत्री मोदी, उनकी ‘जन-विरोधी' नीतियों और हिंदुत्व की राजनीति पर हमले का मंच बन गया। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ऐसे किसी विवाद से बचने की पूरी कोशिश की। उन्होंने...
More »हमें और मंदसौर नहीं चाहिए-- शशिशेखर
दसौर की घटना पर आंसू बहाने वाले दिल कड़ा कर लें, क्योंकि असंतोष की चिनगारियां देश के कई हिस्सों में छिटक रही हैं। कारण? गांवों और कस्बों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी के लिए ताकतवर भारतीय राष्ट्र-राज्य अब भी दूर की कौड़ी है। क्या हमें इस बात पर शर्म नहीं आनी चाहिए कि कृषि-प्रधान कहलाने वाले देश की कोई कारगर ‘राष्ट्रीय कृषि नीति' नहीं है? 1947 से अब...
More »मंदी के दौर में गोरक्षा-- तवलीन सिंह
जब अर्थव्यवस्था में मंदी के आसार दिखने लगे हैं और वित्तमंत्री गौमाता की बातें करते हैं अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो साफ जाहिर है कि हिंदुत्व सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है वर्तमान भारत में। हर हफ्ते सोचती हूं किसी दूसरे विषय पर लिखने का, लेकिन कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है कि मजबूर होकर हिंदुत्व पर ही अटकी रहती हूं। इस बार तब रहा न गया, जब राजस्थान...
More »अपने प्रयोजन में विफल है मृत्युदंड-- प्रो. फैजान मुस्तफा
दो सौ वर्षों से भी अधिक पहले फ्रांस की राष्ट्रीय असेंबली में सजा-ए-मौत के विरुद्ध दलीलें देते हुए फ्रांसीसी क्रांति की प्रमुख हस्तियों में एक रॉब्सपीयर ने कहा था: ‘न्याय और विवेक की आवाज सुनें! यह कहती है कि मानवीय विचार शक्ति कभी इतनी निश्चित नहीं हो सकती कि वह कुछ मानवीय प्राणियों द्वारा किसी अन्य मानवीय प्राणी के प्राण लेने का फैसला कर समाज को वैसा करने दे... आप...
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