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न्यूज क्लिपिंग्स् | मंदी के दौर में गोरक्षा-- तवलीन सिंह

मंदी के दौर में गोरक्षा-- तवलीन सिंह

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published Published on Jun 9, 2017   modified Modified on Jun 9, 2017
जब अर्थव्यवस्था में मंदी के आसार दिखने लगे हैं और वित्तमंत्री गौमाता की बातें करते हैं अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो साफ जाहिर है कि हिंदुत्व सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है वर्तमान भारत में। हर हफ्ते सोचती हूं किसी दूसरे विषय पर लिखने का, लेकिन कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है कि मजबूर होकर हिंदुत्व पर ही अटकी रहती हूं। इस बार तब रहा न गया, जब राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि गौमाता इतनी प्रिय हैं हिंदुओं को कि उनकी हत्या की सजा आजीवन कारावास नहीं, मौत होनी चाहिए। जज साहब का आखिरी दिन था सेवा का, सो उन्होंने कई पत्रकारों से बातें की। अजीब बात यह थी कि न्याय प्रणाली की खामियों के बारे में नहीं बोले। बोले सिर्फ हिंदू मान्यताओं के बारे में। गौमाता के अलावा जज साहब भारत के राष्ट्रीय पंछी मोर के बारे में भी बोले। उनका कहना है कि भागवत पुराण के अनुसार मोर मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता। उसके बच्चे पैदा होते हैं जब मोरनी उसके आंसू पीती है।


जज साहब की बातें सुन कर मेरे जैसे कई लोग हैरान रह गए, लेकिन जब उनकी मोर थ्योरी को लेकर सीएनएन-टीवी पर एक तिलकधारी हिंदू व्यक्ति से इस बारे में सवाल किए गए तो उसको खूब गुस्सा आया। कहा, ‘क्या आप लोग भागवत गीता को नहीं मानते हैं? क्या जानते नहीं हैं कि महाभारत का हिस्सा है भागवत! तो क्या बता सकते हैं आप कि पांडवों का जन्म कैसे हुआ था?' सीएनएन के एंकर चुप हो गए और हंसी-मजाक उनका बंद हो गया। कहने का मतलब यह कि जज साहब अकेले नहीं हैं अपने विश्वास में। आजकल ज्यादातर हिंदू मानते हैं कि उनकी मान्यताओं की वह इज्जत नहीं है, जो होनी चाहिए। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ इन हिंदुत्ववादियों के हीरो हैं और भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना उनका उद्देश्य। इनका विरोध करना धीरे-धीरे असंभव होता जा रहा है, क्योंकि हर छोटी बात पर भड़क उठते हैं। हाल में मुझे ट्विटर पर खूब गालियां खानी पड़ीं, क्योंकि मैंने गोरखनाथ मंदिर के पीछे एक कूड़ा भरे मैदान में बैठी एक गाय की फोटो ट्विटर पर डाल दी। गाली देने वालों का कहना था कि तस्वीर झूठी थी और मैंने ट्विटर पर सिर्फ इसलिए डाली, क्योंकि मैं योगी आदित्यनाथ को बदनाम करना चाहती थी।


तस्वीर असली थी, लेकिन आज के हिंदुत्ववादी इतने गुस्से में हैं कि उनसे बहस करना खतरे से खाली नहीं है। सोशल मीडिया पर इन दिनों हावी हैं ये लोग और अपने नामों के सामने कई ऐसे हैं जो अति-राष्ट्रवादी या अति-हिंदुत्ववादी लिखते हैं। समस्या उनकी यह है कि उनकी देशभक्ति में नफरत और क्रोध इतना घुला हुआ है कि वे दुश्मनों को ढूंढ़ने में लगे रहते हैं। बेझिझ कहते हैं कि इस्लाम विदेशी मजहब है और भारत के मुसलमानों को अब स्वीकार करना होगा कि वह हिंदुओं के बराबर नहीं है। पहलू खान की निर्मम हत्या के बारे में मैंने जब लिखा, तो ट्विटर पर खूब भड़के हिंदुत्ववादी। उनकी शिकायत थी कि एक मुसलिम की हत्या को लेकर मैं फिजूल हंगामा कर रही हूं, केरल में रोज हिंदू मारे जाते हैं, पर उनका जिक्र तक नहीं होता है बड़े अखबारों में। समस्या इन हिंदुत्ववादियों की यह है कि वे न भारत के इतिहास या संस्कृति के बारे में जानते हैं और न ही सनातन धर्म के बारे में, सो उलटी-सीधी, निराधार मान्यताओं की नींव पर खड़ा करते हैं अपने देशप्रेम का महल। ऐसा कुछ इसलिए हुआ है क्योंकि धर्मगुरुओं ने सही मार्गदर्शन नहीं किया है और कुछ इसलिए कि कांग्रेस सरकारों ने शुरू से ऐसी शिक्षा नीति बनाई है, जिसमें प्राचीन भारत की सभ्यता को कम अहमियत दी गई है और मुगल बादशाहों को ज्यादा। यह गलती शायद अंगरेजों के जमाने में हुई थी, लेकिन स्वतंत्रता मिलने के बाद इसको सुधारने का काम किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया। अजीब बात है कि मोदी सरकार ने पिछले तीन वर्षों में नई शिक्षा नीति नहीं बनाई है। जब बनाएंगे तो उम्मीद है कि भारत की प्राचीन विरासत को वह सम्मान मिलेगा, जो अभी तक नहीं मिला है।


सुधार लाना दिन-ब-दिन जरूरी होता जा रहा है, क्योंकि इसके अभाव में कट्टरपंथी हिंदू सारा दोष डाल रहे हैं मुसलमानों पर, इस आधार पर कि इस कौम का वोट हासिल करने के लिए उनकी मांगों को हिंदुओं से ज्यादा अहमियत दी गई है। शायद ऐसा हुआ भी हो, लेकिन वर्तमान हिंदुत्ववादी समझ नहीं पाए हैं कि भारत के मुसलमान भारत के हैं और यहीं रहने वाले हैं, क्योंकि भारत उनका उतना ही देश है जितना हिंदुओं का। सो, नफरत और द्वेष फैलाने का अंजाम यही होगा कि देश एक बार फिर टूटेगा धर्म-मजहब के नाम पर। इसलिए बहुत जरूरी है कि प्रधानमंत्री स्पष्ट शब्दों में अपने समर्थकों से कहें कि उनकी ‘देशभक्ति' खतरनाक होती जा रही है, क्योंकि ऐसी देशभक्ति से देश का नुकसान ही हो सकता है। गोरक्षकों को उन्होंने एक बार पिछले वर्ष टोका था, जब दलित नौजवानों को उन्होंने गाड़ी से बांध कर सरेआम पीटा था लोहे के सरियों से। पिछले कुछ हफ्तों में कई शर्मनाक घटनाएं हुई हैं, जिनमें गोरक्षा के बहाने मुसलमान किसानों को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि अलवर में पहलू खान की मौत हुई और झारखंड में नईम खान की। नईम खान की मौत गोरक्षकों ने नहीं की, लेकिन उसकी खून से लथपथ, हाथ जोड़ कर अपनी जान की भीख मांगते हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। सो, प्रधानमंत्रीजी मेहरबानी करके अपनी चुप्पी तोड़ें। समस्या इन हिंदुत्ववादियों की यह है कि वे न भारत के इतिहास या संस्कृति के बारे में जानते हैं और न ही सनातन धर्म के बारे में, सो उलटी-सीधी, निराधार मान्यताओं की नींव पर खड़ा करते हैं अपने देशप्रेम का महल।


http://www.jansatta.com/sunday-column/tavleen-singh-waqt-ki-nabz-article-on-politics-of-hindutva/339826/


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