अपनी खास भौगोलिक स्थिति के कारण पहचाने जाने वाले मोकामा टाल में इस साल करीब 10 हजार एकड़ जमीन परती छूट गई। स्थानीय लोग बताते हैं कि उनके ज्ञात इतिहास में ऐसा पहली दफा हुआ है। दाल के कटोरे के नाम से मशहूर टाल इलाके में इस बार गंगा नदी का पानी जनवरी के पहले सप्ताह तक जमा रह गया, जो अमूमन सितंबर महीने तक निकल जाता था, इस वजह...
More »SEARCH RESULT
कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ जंग लड़ रहा है बिहार का यह सरकारी स्कूल
बिहार के पूर्णिया जिले के कसबा प्रखंड मुख्यालय में स्थित यह स्कूल पहली ही नजर में किसी आम सरकारी स्कूल जैसा नहीं दिखता। परिसर की साफ सफाई, स्कूल भवन के रंग रोगन, दीवारों पर बने प्रेरणा दायक चित्र, करीने से बने शौचालय और मूत्रालय, परिसर में लगे पेड़ पौधे, यह सब बरबस आपका ध्यान खींचते हैं। मगर इस विद्यालय की सबसे बड़ी खासियत इसकी वह कोशिश है जो इसने अपने...
More »3000 नील गायों को मारेगी सरकार, पर किसानों ने निकाला बचाव का दूसरा तरीका
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 3000 से अधिक नील गायों को मारने की तैयारी स्थानीय प्रशासन द्वारा की गयी है। इसके लिए तमिलनाडु से शार्प शूटर को भी बुलाया गया है। नील गायों को मारने का यह अभियान 23 जनवरी से ही शुरू होना था, मगर शूटर असगर अली की तबीयत खराब होने की वजह से यह अभियान फिलहाल शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि नील गायों की सामूहिक हत्या...
More »मुद्रा योजना: आसान कर्ज वाली बात हकीकत से बहुत दूर है
बिहार के छपरा के कटहरी बाग में फूलों की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले धनंजय कुमार (38 वर्ष) को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कुछ पैसों की जरूरत थी। केंद्र सरकार की 'मुद्रा योजना' के तहत उन्होंने एक नजदीकी बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया, लेकिन उन्हें लोन नहीं मिला। धनंजय कुमार सहित दर्जनभर फूल कारोबारियों की लोन की अर्जी को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि...
More »45 हजार किसानों का ही धान खरीद पाई बिहार सरकार
-डाउन टू अर्थ धान की सरकारी खरीद का मौसम आधे से अधिक बीत चुका है, मगर अभी तक बिहार के सिर्फ 45 हजार किसान अपनी धान की फसल को सरकार को बेचने में सफल हो पाये हैं। सिर्फ इन्हें ही सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 1835 रुपये का लाभ मिल सका है। शेष बचे ज्यादातर किसानों को अपनी खरीफ की पैदावार को बहुत कम कीमत में स्थानीय कारोबारियों को बेचने को...
More »