उस वक्त को गुजरे ज़्यादा दिन नहीं हुए जब भारत के सबसे ग़रीब ज़िलों में बुनियादी सुविधाएं बहुत कम और विरल थीं. ज़्यादातर लोग अपने हालात के भरोसे थे. इनमें से कुछ लोगों को भरे-पूरे प्राकृतिक वातावरण का संग-साथ हासिल था और शायद उनकी जिन्दगी में वह आज़ादी और उत्साह भी था जो आज खो गया है. लेकिन अन्य बहुत से लोग भूख, असुरक्षा और शोषण के साये में रहते थे...
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स्त्री सशक्तीकरण और महिला बैंक
जनसत्ता 21 नवंबर, 2013 : किसी गंभीर समस्या और उसके समाधान को प्रतीक तक सीमित कर देने की ताजा मिसाल भारतीय महिला बैंक है। यूपीए सरकार ने उषा अनंतसुब्रमण्यम को भारतीय महिला बैंक की प्रबंध निदेशक नियुक्त किया और शुरुआती पूंजी के तौर पर बैंक के लिए एक हजार करोड़ रुपए की रकम मंजूर की है। दो रोज पहले इस बैंक ने काम करना शुरू कर दिया, जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह...
More »कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश
देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....
More »आरटीआइ में बनाएं मददगार
इ-सर्विस डिलेवरी की व्यवस्था आरटीआइ एक्ट, 2005 को लागू करने में बड़ी सहायक हो सकती है. यह ग्रास रूट गवर्नेस का मॉडल प्रयोग तो है ही, आरटीआइ एक्ट को लागू करने में भी मॉडल भूमिका निभा सकती है. इसमें सार्वजनिक भागीदारी जुड़ी है. इसलिए आरटीआइ को लागू करने में निजी लोगों को भागीदार बनाया जा सकता है. चूंकि इ-गवर्नेस प्रोजेक्ट त्रि-स्तरीय (पंचायत, प्रखंड और जिला) है. इसलिए आरटीआइ को ग्रास रूट...
More »केंद्रीय ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2012-13
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने आज यहां अपने मंत्रालय की 2012-13 की रिपोर्ट जारी की। इस अवसर पर योजना आयोग के सदस्य डॉ. मिहिर शाह और आईडीएफसी फाउंडेशन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राजीव लाल ने भी रिपोर्ट के मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। बाद में ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श भी हुआ। श्री जयराम रमेश ने सरकारी कार्यक्रमों के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रभावी नहीं होने...
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