बस दो हफ्तों की बात और है, इसके बाद केंद्र में एक नई सरकार होगी, जिसे बेकाबू भ्रष्टाचार, धीमी विकास दर, बेरोजगारी, आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दामों और गहरी जड़ें जमा चुकी दोषपूर्ण मान्यताओं से उपजी राजनीतिक व्यवस्था जैसी विकराल चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चुनावी सरगर्मियों पर नजर डालने से साफ पता चलता है कि ऐसे तीन मुद्दे हैं, जो औसत मतदाता की परेशानियों का सबब बनते हैं। इनमें सबसे...
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कैसे पूरे हो पाएंगे किसानों से किए वायदे- हरवीर सिंह
केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दस साल के कार्यकाल के बाद अब एक ऐसी नई सरकार की उम्मीद लोग लगा रहे हैं, जो केवल देखने में ही मौजूदा गठबंधन से अलग नहीं होगी, बल्कि कामकाज के तरीके के मामले में भी अलग होगी। ऐसे में सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद रखने वाले बड़े दल महंगाई को काबू में लाने और विकास की गति को तेज करने के...
More »आठ फीसदी स्कूलों में ही शिक्षा का अधिकार- पुष्यमित्र
दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ते वक्त आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में उल्लेख किया था कि दिल्ली में इस वक्त महज 2674 स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें राज्य के तकरीबन 24 लाख बच्चे पढ़ते हैं. वे अगर सरकार बनाते हैं तो कम से कम 500 स्कूल और खोलेंगे. आम आदमी पार्टी में आम तौर पर प्रबुद्ध, समाजसेवी और शिक्षा से जुड़े लोगों का प्रभाव माना जाता है, मगर फिर...
More »जांच में दिखीं स्कूलों में कमियां
पटना सिटी: सर्वशिक्षा अभियान के बाद शिक्षा में गुणात्मक सुधार के बदलाव अमल में आ रहे हैं या नहीं. इसी बात का जायजा लेने के लिए सोमवार को अनुमंडल पदाधिकारी त्याग राजन एसएम विद्यालयों का निरीक्षण करने पहुंचे गये. एसडीओ ने पदाधिकारियों के साथ प्राथमिक, मध्य व उच्च विद्यालयों में 11 विद्यालयों का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दरम्यान नामित बच्चों के साथ गुरु जी भी अनुपस्थित पाये गये. इतना ही नहीं...
More »असम में बार-बार भड़कती हिंसा का समाधान क्या है- विनोद रिंगानिया
असम में दो साल पहले बोडो बहुल इलाकों में हुई हिंसा में सौ से ज्यादा लोगों की जान गई थी। इस साल फिर वहां हिंसा भड़क उठी है। पिछली बार की हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। उसने जांच रिपोर्ट सौंपी और दोषियों के खिलाफ मामले दायर किए। मामले अब भी चल रहे हैं, पर उस रिपोर्ट के आधार पर सरकार को जो कदम उठाने चाहिए थे, वे...
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