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आरटीआई कार्यकर्ता सतीश शेट्टी की हत्या

पुणे। पुणे के निकट बुधवार को कुछ अज्ञात लोगों ने सूचना के अधिकार [आरटीआई] के जानेमाने कार्यकर्ता सतीश शेट्टी की हत्या कर दी। शेट्टी पर तालेगांव इलाके में उस समय हमला किया गया जब वह सुबह की सैर पर निकले थे। अस्पताल में उनकी मौत हो गई। तालेगांव-लोनावला इलाके में भूमि घोटालों के खुलासों का श्रेय शेट्टी को ही जाता है। तालेगांव थाने के अधिकारी प्रदीप अफाले ने बताया,...

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ठंड व भूख से बिरहोरों का जीवन बना नरक

हजारीबाग। राज्य स्थापना के नौ वर्ष बाद भी जिले की लुप्तप्राय जनजाति बिरहोरों की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। कड़ाके की ठंड में भी उनके पास न तो पर्याप्त संख्या में कंबल है और न ही खाने को पर्याप्त अनाज। उक्त बातें स्वयं सेवी संस्था प्रत्यंचा द्वारा पिछले दिनों नवसृजित कटकमदाग प्रखंड ढेंगुरा पंचायत तथा डेमोटांड स्थित बिरहोर कालोनी में कराए गए सर्वेक्षण से उजागर हुईं। सर्वे में बताया गया कि ढेंगुरा पंचायत के पननवाटांड...

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पंचायतों की जमीन जेडीए के खाते में

जयपुर। एक तहसीलदार की कारस्तानी की वजह से जमवारामगढ़ तहसील के 10 ग्राम पंचायतों के आबादी की कई सौ बीघे से ज्यादा जमीन जेडीए के खाते में चढ़ गई। नतीजा, ग्राम पंचायतों ने इन जमीनों के पट्टे देने से हाथ खींच लिया और वास्तविक मालिकाना हक न होने की वजह से जेडीए भी इन जमीनों के पट्टे देने से बच रहा है। इसके चलते सैकड़ों ग्रामीण ग्राम पंचायतों और जेडीए अधिकारियों के बीच फुटबॉल बने...

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नक्सलियों से बात करेगी सरकार

रांची। मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने कहा है कि नक्सल समस्या के समाधान के लिए सरकार चरमपंथियों से बातचीत करेगी। हिंसा समाधान नहीं है। सरकार चाहती है कि नक्सली आएं और बातचीत करें। अगर वे सरकार में आना चाहते हैं तो बात करें, अपना प्रस्ताव दें, सरकार विचार करेगी। शपथग्रहण के बाद शिबू ने सूबे में स्थायी और स्थिर चलाने की बात कही और कहा कि सभी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। खान-खनिजों के पट्टों के...

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जजों की कमी से लंबित हो रहे मुकदमे

लखनऊ। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन ने कहा कि अदालतों में लंबित मुकदमों की फेहरिस्त जजों की कमी की वजह से बढ़ती जा रही है। अदालतों में अवस्थापना सुविधाओं की कमी शिद्दत से महसूस की जा रही है। न्यायालयों में पर्याप्त संख्या में कोर्ट नहीं हैं। दु:खद तो यह है कि कई राज्य सरकारें अदालतों के विकास में दिलचस्पी नहीं ले रही हैं। यदि अदालतों में स्वीकृत संख्या के अनुरूप जजों की तैनाती...

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