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नरेगा मजदूरों की काली दिवाली- ज्यां द्रेज

कुछ दिन पहले जब दीये और पटाखे की रोशनी से देश जगमगा रहा था तो बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में सैकड़ों नरेगा मजदूर ‘काली दीवाली' मनाने के लिए इक्कट्ठा हुए। उन्हें महीनों से मजदूरी नहीं मिली थी। मजदूरी मिलने के इंजतार में थक-हार कर नरेगा मजदूरों ने तत्काल भुगतान की मांग के साथ एक धरने का आयोजन किया। धरने पर बैठे मजदूर ज्यादा कुछ नहीं मांग रहे थे- उन्हें बस...

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सबसे तेज विकास करने वाला एशियाई देश होगा भारत

सिंगापुर। एशिया के तमाम देशों में भारत सबसे अधिक तेजी से आर्थिक वृद्घि दर्ज करने वाला देश होगा। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक 2015 के दौरान यहां सकल घेरलू उत्पादन (जीडीपी) में 6.3 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है। 12-14 नवंबर के दौरान मॉर्गन स्टैनली के सालाना एशिया-प्रशांत शिखर सम्मेलन में हुई प्रस्तुति में कहा गया कि अगले साल के अंत तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की विनिमय दर 62.2 रहेगी। इस...

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स्वास्थ्य नीति: 'नौ दिन चले अढाई कोस'-- ज्यां द्रेज

केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बने अब चार महीने से अधिक हो चुके हैं. मोदी ने चुनाव प्रचार में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी का वादा भी किया था. लेकिन स्वास्थ्य के मोर्चे पर मोदी सरकार ने किया क्या है, इसका विस्तृत ब्योरा अभी उपलब्ध नहीं है. अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ राष्ट्रपति के अभिभाषण, प्रधानमंत्री के संसद में दिए भाषण, लाल किले से प्रधानमंत्री का देश के नाम संदेश और वित्तमंत्री...

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मनरेगा में बदलाव से बढ़ेगी गरीबी- संतोष कुमार सिंह

नयी दिल्ली : देश के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ताओं, अर्थशात्रियों ने ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा में फेरबदल के प्रयासों की आलोचना की है. विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा के मौजूदा प्रावधानों में फेरबदल करना चाहता है. सूचना के अधिकार कानून के जरिये हुए एक खुलासे में कहा गया है कि इस फेरबदल से पांच करोड़ घर प्रभावित होंगे. उपरोक्त बातें पीपुल एक्शन फॉर इम्प्लॉयमेंट गारंटी नामक...

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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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