गरीबी की तुलना में समृद्धि की पहचान बेहद आसान है। दौलत या तो नजर आती है या उसका निर्लज्ज नजारा होता है, जबकि निर्धनता अनदेखी ही बनी रहती है। सबसे बदतर किस्म की गरीबी देश और दुनिया के उन हिस्सों में अदृश्य रहती है, जहां यह सरकार के उद्गम स्थल से बाहर होती है और व्यावसायिक प्रतिष्ठान, नौकरशाही या मीडिया सरीखे आधुनिक जीवन के इंजनों को ईंधन देने का काम करने वाले...
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मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा
गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
More »महंगाई को लेकर एडीबी की चेतावनी
एशियन डेवलपमेंट बैंक ने एशिया में उपभोक्ता सामग्री की बढ़ती क़ीमतों को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर पर असर पड़ सकता है. पूर्वी एशिया की दस उभरती अर्थव्यवस्थाओं में पहली तिमाही में विकास की दर का आकलन 8.4 प्रतिशत किया गया था लेकिन पिछले तीन महीनों में इसे घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया है. खाद्य पदार्थों और ईंधन की बढ़ती क़ीमतों की...
More »प्याज और अंडे सस्ते, खाद्य महंगाई दर गिरी
प्याज, दूध, अंडे, मांस और दाल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण 16 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्यान्न मुद्रास्फीति दर घटकर 7.33 फीसदी हो गई। पिछले दो साल में यह खाद्यान्न मुद्रास्फीति की न्यूनतम दर है। खाद्यान्न मुद्रास्फीति दर में लगातार दूसरे सप्ताह आई इस गिरावट से उपभोक्ताओं और इसे नीचे लाने के लिए पिछले डेढ़ साल से भी अधिक समय से कोशिश कर रहे...
More »जंगलों के लिए खतरा बनी रसोई गैस की वृद्धि
ठियोग। रसोई गैस के दाम 50 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ जाने से ऊपरी क्षेत्रों के बहुमूल्य जंगलों पर फिर खतरा मंडराने लगा है। ठियोग की बात करें तो यहां पर गैस सिलेंडर का भाव 435 रुपए पहुंच गया है। ईंधन के लिए इतनी बड़ी राशि प्रतिमाह जुटाना गरीब किसानों और मजदूरों के लिए संभव नहीं है। अपेक्षाकृत ठंडा क्षेत्र होने के कारण पहाड़ों में वैसे भी रसोई गैस की खपत मैदानी क्षेत्रों...
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